सावन मास और नाग पंचमी - कालसर्प दोष शान्ति – स्थान व उपाय :
- Bhavika Rajguru
- Aug 8, 2024
- 3 min read
पूर्व-जन्म कृत पापं,
व्याधि-रूपेण बाधते |
ततः शान्ति-रौषधे-दानः,
जप-श्राध्यादीकर्मभिः |
अर्थात-पूर्व जन्म में किये गये पाप अनेक प्रकार की व्याधियो के रूप में व्यक्ति को कष्ट देते है ,किन्तु विभिन्न दानों,जप,श्राद्ध आदि कर्म रूपी औषधियों द्वारा उन कष्टों को शांत किया जा सकता है |
कालसर्प दोषं अपने आप में एक ऐसा दोष है,जो पितृ दोष से सम्बंधित होता है |अतः जिस कुंडली में कालसर्प दोष होगा,उस व्यक्ति के जीवन में कहीं न कहीं पितृ दोष अवश्य जुड़ा होगा | इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में हर स्तर पर संघर्ष और तनाव बढ़ते ही रहते है,बाधाये आती है |
जन्मकुंडली में जिस भाव से कालसर्प की सृष्टी होगी,उस भाव से सम्बंधित कठिनाईयां एवं संघर्षो की भी बहुतायत होगी| अतः कालसर्प योग के निदान के लिये मनोयोग से प्रयत्न करना चाहिए |
वैसे तो कालसर्प दोष की शान्ति भिन्न-भिन्न इष्ट देवों की कृपा से हो जाती है, परन्तु इसकी शान्ति का मुख्य सम्बन्ध आशुतोष भगवान् शिव से है ,क्यों कि सर्प भगवान् शिव के गले का हार है,अतः श्रावण मास में शिवजी के सम्मुख यत्न से कालसर्प दोष की शान्ति का विधान करना चाहिए |
भारतवर्ष में कालसर्प दोष की शान्ति हेतु उपयुक्त स्थान-
1-श्री लूत काल हस्तीश्वर-दक्षिण भारत में भगवान् तिरुपति मंदिर से लगभग 50 कि.मी.पर काल हस्ती एकादश रुद्रवतारो में से एक स्वयंभू शिवलिंग है |
2-त्रयम्बकेश्वर (नासिक)-नासिक के पास स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर कालसर्प दोष की शान्ति का विधान है |
3-प्रयाग संगम-इलाहबाद में प्रयाग संगम पर विधिवत रूप से कालसर्प दोष की शान्ति दैवज्ञ पुरोहित से करवाने का विधान बताया गया है |
4-त्रियुगीनारायण मंदिर-श्री केदारनाथ से 15 कि.मी.पहले स्थित इस (शिव-पार्वती विवाह स्थल) मंदिर में विधिवत रूप से पूजन करवाने पर कालसर्प दोष शांत होकर शुभ फल देता है |
5-त्रिनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर-दक्षिण भारत के तंजोर जिले में स्थित इस मंदिर में राहू-काल में राहू का अभिषेक करवाने से कालसर्प दोष की शान्ति होती है |
6-ब्रह्म-कपाली धाम-भगवान् बद्रीनाथ धाम के पास स्थित इस स्थान पर विधि विधान से कालसर्प दोष की शान्ति पूजा करवाने से इस दोष से मुक्ति पायी जा सकती है |
विशेष-कालसर्प दोष से पीड़ित जातक , राहू-केतु के नक्षत्र(रोहिणी,मृगशिरा,आद्रा)में उत्पन्न व्यक्ति तथा राहू या केतु की महादशा या अन्तर्दशा में पीड़ित व्यक्तियों को श्रावण मास में नित्य शिव पूजन के साथ-साथ हमारे (राजगुरु एस्ट्रो-साइंसकी की टीम) द्वारा विशिष्ट शोध एवं कठिन प्रयासों से संकलित निम्नानुसार लक्षणों के आधार कालसर्प दोष निवारण हेतु हमारे संस्थान की email id - rajguruastroscience@gmail.com /फ़ोन नंबर-9256699947 पर हमारे से संपर्क कर सकते है-
कालसर्प दोष के कारण उत्पन्न होने वाली सामान्य समस्याये
1-यदि जीवन में मानसिक आशांति बढ़ गयी हो,घोर निराशा तथा आत्महत्या के विचार आ रहे है, तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
2-आपके घर में अशांति के कारण आपका जीवन दूभर हो गया है , तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
3-कालसर्प दोष वाले जातकों के घर/ऑफिस में कीड़े-मकोड़े,चींटी इत्यादि बहुत निकलते है,निवारण करवाना आवश्यक है|
4-यदि कोई गुप्त शत्रु जिसका आपको पता भी नहीं है और वो आपको बार-बार नुकसान पहुंचा रहा है, तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
5-पति-पत्नी के बीच अकारण मनमुटाव रहता हो,या एक-दुसरे से बिना कारण के झगडा/विवाद होता हो, तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
6-आप द्वारा बार-बार प्रयास करने व मेहनत करने के बाद भी आपका कामकाज सही तरीके से नहीं चल रहा है और बार-बार नुकसान का सामना करना पड़ता है, तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
7-आपके साथ या आपके किसी पारिवारिक सदस्य को बार-बार दुर्घटनाओ का सामना करना पड़ता है, तो कहीं इसका कारण आपकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष तो नहीं!
यदि उपरोक्त में से किसी भी प्रकार की कोई समस्या/परेशानी आपके जीवन में चल रही है तो हमारे संस्थान के प्रबुद्ध ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करवाये अथवा कालसर्प दोष निवारण हेतु हमारे संस्थान की email id - rajguruastroscience@gmail.com /फ़ोन नंबर-9256699947 पर संपर्क कर सकते है|
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