संकष्टी चौथ 2025 पूजा विधि और उपाय: संतान सुख और समृद्धि के लिए विशेष पूजा करें :
- Bhavika Rajguru
- Jan 15
- 5 min read
संकष्टी चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण व्रत है जो हर माह के कृष्ण पक्ष की
चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और यह खासकर
महिलाओं द्वारा संतान सुख और उनकी लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। संकष्टी चौथ का महत्व न केवल
धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है,यह जीवन की बाधाओं को दूर करने,
संकटों को नष्ट करने और समृद्धि लाने के लिए भी खास माना जाता है।

संकष्टी चौथ 2025 कब है?
संकष्टी चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा, क्योंकि माघ माह की कृष्ण पक्ष की
चतुर्थी तिथि 17 जनवरी को सुबह 04:06 बजे से प्रारंभ होगी और 18 जनवरी को सुबह 5:30 बजे समाप्त
होगी। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

संकष्टी चौथ पर चंद्रमा पूजा का महत्व :
संकष्टी चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा के अंत में, चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत
को समाप्त किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार जन्म-कुंडली में चन्द्रमा से जनित पीड़ा निवारण के साथ
यह दिन संकटों को दूर करने और जीवन को सुखमय बनाने का अवसर होता है।
संकष्टी चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi) :
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें: संकष्टी चौथ का व्रत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने से शुरू करें। इसके बाद
व्रत का संकल्प करें।
2. गणपति की पूजा करें: अब लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान गणेश की
मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति पर कुमकुम लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
3. भोग अर्पित करें: गणेश जी की पूजा करते समय तिलकुट (तिल के लड्डू), मोदक, गुड़धानी, केले आदि
भगवान गणेश को अर्पित करें। यह प्रसाद उन्हें बेहद प्रिय है।
4. गणेश चालीसा का पाठ करें: पूजा के दौरान गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही, गणेश
जी की आरती करें और शंख का आह्वान करें।
5. चंद्रमा पूजा करें: रात को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
6. प्रसाद का वितरण करें: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों के बीच वितरित करें।
संकष्टी चौथ के विशेष उपाय (Sakat Chauth Upay) :
संकष्टी चौथ के दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जो जीवन में शुभ लाभ, समृद्धि और सफलता
लाने में मदद करते हैं:
1. नौकरी और व्यापार में लाभ के लिए: भगवान गणेश के सामने दो सुपारी और दो इलायची रखें और
उन्हें विधिपूर्वक पूजा करें। इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और कार्य में सफलता
मिलती है।
2. धन में वृद्धि के लिए: एक लाल कपड़े में श्रीयंत्र और एक सुपारी रखें। फिर गणेश जी की पूजा
करके इसे अपनी तिजोरी में रख दें। इससे धन में वृद्धि और आर्थिक समृद्धि के योग बनते हैं।
3. चंद्रमा के आशीर्वाद के लिए: संकष्टी चौथ की शाम चंद्रोदय के समय एक लोटे में शुद्ध जल भरें
और उसमें लाल चंदन, पुष्प, अक्षत डालें। इसके बाद तिलकुट से चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। इससे
चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
संकष्टी चौथ 2025 के पूजा मंत्र (Sakat Chauth Mantra) :
संकष्टी चौथ की पूजा के दौरान आप निम्नलिखित मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
1. गणेश गायत्री मंत्र:
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
2. शुभ लाभ गणेश मंत्र:
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
3. सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र:
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा ॥
संकष्टी चौथ पर दान का महत्व (Sakat Chauth Daan) :
संकष्टी चौथ पर दान का विशेष महत्व है और इसे अधूरा व्रत माना जाता है यदि दान न किया जाए। इस
दिन विशेष रूप से दस महादान का महत्व होता है। आप अपने सामर्थ्य अनुसार इनमें से कोई एक दान कर
सकते हैं, जिससे भगवान गणेश के साथ ही नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि, शांति
और सुख का वास होता है।
दस महादान (Ten Major Donations) में से एक दान करने का महत्व:
1. अन्नदान: अन्नदान से जीवन में कभी भी अन्न का अभाव नहीं होता और भगवान की कृपा से घर
में समृद्धि आती है।इससे नवग्रह पीड़ा का निवारण होता है |
2. नमक का दान: नमक का दान करने से दरिद्रता समाप्त होती है और धन की वृद्धि होती है।यह
शनि जनित बाधा को दूर करता है |
3. गुड़ का दान: गुड़ का दान करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह दान घर में
धन और वैभव लाने में मदद करता है।इससे मंगल ग्रह की शान्ति होती है
4. स्वर्ण का दान: स्वर्ण का दान अत्यंत शुभ होता है और यह धन की वृद्धि, ऐश्वर्य और सुख को
आकर्षित करता है।यह बृहस्पति की शुभता को बढ़ाता है |
5. तिल का दान: तिल का दान संकष्टी चौथ पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। तिल के दान
से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।यह राहु जनित कष्टों से मुक्ति
दिलाता है
6. वस्त्र का दान: वस्त्र का दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और वैभव का वास होता है। यह
दान पुण्य और सुख-संसार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
7. गौघृत का दान: गौघृत का दान पुण्य के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है। यह दान परिवार में सुख-
शांति और अच्छे स्वास्थ्य का कारण बनता है।यह आपके शुक्र की स्थिति को मजबूत बनाता है |
8. रत्नों का दान: रत्नों का दान करने से व्यक्ति की किस्मत में सुधार आता है और जीवन में समृद्धि
व सफलता के दरवाजे खुलते हैं।
9. चांदी का दान: चांदी का दान किसी भी रूप में किया जाए तो वह बुरे समय को समाप्त करता है
और सुख-समृद्धि लाता है।यह चन्द्र की शान्ति हेतु महत्वपूर्ण है |
10. शक्कर का दान: शक्कर का दान करने से घर में सुख-शांति और मिठास बनी रहती है। यह दान
अच्छे स्वास्थ्य और परिवार में प्यार बढ़ाता है।यह मंगल व शुक्र ग्रह को अनुकूल बनाता है |
संकष्टी चतुर्थी: गणेश पूजा से सफलता और समृद्धि की प्राप्ति
गणेश मंत्र का जाप: बाधा निवारण:- संकष्टी चतुर्थी पर गणेश भगवान के सामने धूप दीप जलाकर ;
ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है। जीवन में समृद्धि लाता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
गणेश चालीसा और मानसिक शांति:- गणेश चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोग है, जो घर में सुख और समृद्धि लाता है।
संकटों का नाश और विघ्नों से मुक्ति:- यह व्रत संकटों का नाश और विघ्नों से मुक्ति का प्रतीक है। व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद मिलता है, और धन-समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती।
सकारात्मक ऊर्जा का वास:-इस दिन पूजा से घर की नकारात्मकता समाप्त होती है और परिवार में सुख- शांति का वातावरण बनता है।
विपदाओं से सुरक्षा और मनोकामनाओं की पूर्ति:- संकष्टी चतुर्थी का व्रत भविष्य में आने वाली विपदाओ से सुरक्षा प्रदान करता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
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