वृश्चिक संक्रांति 2024: जानें कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय अनुष्ठान :
- Bhavika Rajguru
- Nov 14, 2024
- 8 min read
वृश्चिक संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य के कार्यों के लिए जाना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि वृश्चिक संक्रांति 2024 कब है, इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इससे जुड़े लाभ। साथ ही, वृश्चिक संक्रांति के दौरान किए जाने वाले विशेष उपायों और सावधानियों के बारे में भी चर्चा करेंगे।

वृश्चिक संक्रांति 2024: तारीख और समय :
वृश्चिक संक्रांति, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, जब सूर्य देव तुला राशि से
वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं। इस वर्ष वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर, 2024 (शनिवार) को मनाई जाएगी।
महत्वपूर्ण समय:
वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल: सुबह 06:16 बजे से 07:41 बजे तक
संक्रांति का क्षण: 07:41 बजे
संक्रांति करण: बालव
संक्रांति चन्द्रराशि: वृषभ
संक्रांति नक्षत्र: कृत्तिका (मिश्र संज्ञक)
वृश्चिक संक्रांति 2024 के शुभ मुहूर्त :
वृश्चिक संक्रांति के दिन विभिन्न मुहूर्त होते हैं, जिनका पालन करके विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यहां पर दिए गए
शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें:
1. ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:31 बजे से 05:23 बजे तक
2. प्रातः संध्या मुहूर्त: प्रातः 04:57 बजे से 06:16 बजे तक
3. अभिजित मुहूर्त: 11:21 बजे से 12:04 बजे तक
4. विजय मुहूर्त: 01:32 बजे से 02:15 बजे तक
5. गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:09 बजे से 05:36 बजे तक
6. अमृत काल: शाम 05:19 बजे से 06:45 बजे तक
7. निशिता काल मुहूर्त: रात्रि 11:17 बजे से 17 नवम्बर को 06:45 बजे तक
वृश्चिक संक्रांति के विशेष योग :
वृश्चिक संक्रांति पर कुछ विशेष योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन की पूजा और अनुष्ठान को और भी प्रभावशाली बनाते हैं:
1. दुर्लभ शिववास योग: यह योग खासतौर पर भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति कराता है।
2. परिघ योग: इस योग का समापन रात 11:48 बजे होगा।
3. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग: ये दोनों योग संध्याकाल से बन रहे हैं और इनका लाभ सूर्य पूजा से प्राप्त होता है।
वृश्चिक संक्रांति का ज्योतिष महत्व
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य अपने मित्र ग्रह मंगल की राशि में प्रवेश करता है, जिससे उसे बल की प्राप्ति होती है। इस समय का उपयोग संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए किया जा सकता है, साथ ही अनुसंधान कार्यों में भी विशेष सफलता मिलती है।
सूर्य के वृश्चिक राशि में होने से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, और यह समय आत्ममूल्यांकन तथा महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए उपयुक्त होता है।
वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक महत्व :
वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक महत्व भी बहुत गहरा है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा और सूर्य मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को असंख्य पुण्य मिलते हैं।
पितृ तर्पण और श्राद्ध का भी महत्व है, जिसे इस दिन विशेष रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
वृश्चिक संक्रांति के उपाय, अनुष्ठान एवं लाभ :
वृश्चिक संक्रांति एक विशेष समय है, जब सूर्य अपनी राशि बदलते हैं और यह दिन शुभ कर्मों, पूजा-पाठ, और दान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपाय न केवल जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं, बल्कि व्यक्तित्व और जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन भी लाते हैं। आइए, जानते हैं वृश्चिक संक्रांति के प्रमुख अनुष्ठान और उनके लाभ:
1. गंगा स्नान और सूर्य को अर्घ्य देना :
वृश्चिक संक्रांति के दिन गंगा, ब्रह्म पुष्कर सरोवर या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से महापाप समाप्त हो जाते हैं।
लाभ: इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के आत्मिक और शारीरिक शुद्धिकरण का उपाय है।
2. भगवान विश्वकर्मा की पूजा :
वृश्चिक संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति के नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी तकनीकी या निर्माण से जुड़े कार्यों में हैं।
लाभ: इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कार्यस्थल में सफलता, समृद्धि और सम्मान मिलता है।
3. ॐ आदित्याय नमः मंत्र का जाप :
वृश्चिक संक्रांति के दिन ॐ आदित्याय नमः का जाप करने से भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
लाभ: यह मंत्र विशेष रूप से मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे जीवन की कठिनाइयों का सामना करना आसान होता है।
4. दान का महत्व :
वृश्चिक संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व है। खासकर इस दिन तांबे की वस्तु, गुड़, जौ और लाल फूल का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
लाभ: इस दिन किए गए दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है।
5. सूर्य पूजा और जीवन में सफलता :
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में आरोग्य, यश, प्रसिद्धि, और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
लाभ: यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थितियों में हैं। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली मुश्किलें दूर होती हैं और वह अपने लक्ष्य में सफल होता है।
6. मंगल ग्रह की पूजा और शांति :
वृश्चिक संक्रांति के दौरान सूर्य पूजा के साथ-साथ मंगल ग्रह की पूजा और शांति करना भी महत्वपूर्ण है।
लाभ: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल के शुभ प्रभाव में कमी है या किसी कारण से मंगल के शुभ फल नहीं मिल पा रहे हैं, तो इस समय मंगल मंत्र जाप, दान और हवन से मंगल ग्रह की शांति संभव होती है। इससे व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता और परिवार में सुख मिलता है।
7. पितृ तर्पण और श्राद्ध :
वृश्चिक संक्रांति का समय पितृ तर्पण और श्राद्ध कार्यों के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इस दिन पितरों के निमित्त कार्य करना और भोजन एवं दान करना अत्यंत फलदायक होता है।
लाभ: पितृ तर्पण से पितृदोष नष्ट होते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके परिणामस्वरूप घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
8. सूर्य चालीसा का पाठ :
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
लाभ: सूर्य चालीसा का नियमित पाठ करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही, यह जीवन में हर प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
9. विष्णु सहस्त्रनाम और आदित्य हृदय का पाठ :
वृश्चिक संक्रांति के दिन विष्णु सहस्त्रनाम और आदित्य हृदय का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी है। यह शास्त्रों का पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
लाभ: विष्णु सहस्त्रनाम और आदित्य हृदय के पाठ से भगवान विष्णु और सूर्य की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यक्ति को हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाती है।
10. वैदिक मंत्रों और भजनों का पाठ :
संक्रांति के दिन वैदिक मंत्रों और भजनों का नियमपूर्वक पाठ करना भी अत्यधिक फलदायक माना जाता है।
लाभ: यह कार्य मानसिक शांति, ध्यान की स्थिति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के लिए लाभकारी होता है। इससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति सुदृढ़ होती है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि :
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा विधि निम्नलिखित है:
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। अगर बाहर स्नान करना संभव नहीं हो, तो घर पर तिल और गंगाजल डालकर स्नान करें।
2. स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें और सूर्य देव की पूजा के लिए तैयार हो जाएं।
3. तांबे के कलश में तिल, जल और फूल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
4. अर्घ्य देने के दौरान ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें।
5. पूजा स्थल को साफ करके वहाँ सूर्य देव की पूजा करें। दीप, धूप, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
6. अंत में, तिल-गुड़ के लड्डू, अन्न, और वस्त्र का दान करें।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वृश्चिक संक्रांति का प्रभाव :
वृश्चिक संक्रांति 2024 के दौरान सूर्य देव तुला राशि से निकलकर 16 नवम्बर को दिन में 11:48 बजे अपने मित्र ग्रह मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इस राशि परिवर्तन के कारण सूर्य का प्रभाव राजनीति, समाज, और व्यक्तिगत जीवन पर महत्वपूर्ण असर डालेगा। आइए, जानते हैं इस संक्रांति के ज्योतिषीय प्रभाव को विस्तार से:
1. सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश: राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव :
सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश राजनीति, देश और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालेगा। वृश्चिक राशि सूर्य के लिए मित्र ग्रह की राशि मानी जाती है, और यहां पर सूर्य को बल मिलता है। इसके परिणामस्वरूप:
राजनीतिक बदलाव: इस समय राजनीति में बड़े बदलाव और घटनाएँ हो सकती हैं। जनता के प्रभाव में वृद्धि होगी, और विशेष रूप से भ्रष्ट नेताओं का विरोध बढ़ सकता है।
कानून व्यवस्था में सुधार: कानून व्यवस्था मजबूत होगी, और किसी बड़े आपराधिक साजिश का पर्दाफाश होने की संभावना है। अपराधी और पापकर्म करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
जनता का बढ़ता प्रभाव: समाज में जागरूकता और सक्रियता बढ़ेगी, जिससे बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
2. राक्षसी संक्रांति - अधिक सतर्कता की आवश्यकता :
चूँकि यह संक्रांति शनिवार के दिन हो रही है, इसे राक्षसी संक्रांति कहा गया है। राक्षसी संक्रांति का मतलब यह है कि यह समय पापकर्म करने वालों, दुष्ट लोगों और चोरों के लिए अनुकूल होता है। इस दौरान:
सतर्कता की आवश्यकता: लोगों को अपनी गतिविधियों में सतर्क रहना होगा। खासकर आर्थिक और सामाजिक मामलों में धोखाधड़ी और झूठे आरोपों से बचने के लिए अधिक चौकस रहना पड़ेगा।
दुष्टों और पापकर्मियों का वर्चस्व: यह समय उनके लिए अनुकूल हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद यह भी समय है जब अच्छे कर्मों और ईमानदारी से किए गए प्रयासों का फल मिल सकता है।
3. बाजार पर प्रभाव :
वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य के प्रभाव से कुछ व्यापारिक क्षेत्रों में वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से:
रसदार पदार्थों, दूध, तेल, घी, तिल, चावल, चना, मक्का की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, महंगाई दर में कुछ कमी दिख सकती है, जिससे आम जनता को राहत मिल सकती है।
4. सूर्य और ग्रहों का द्विर्द्वादश और षडाष्टक संबंध :
सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश से राहु, शनि, और बुध के साथ द्विर्द्वादश संबंध बनेंगे, और केतु के साथ सूर्य का षडाष्टक संबंध बनेगा। इसके परिणामस्वरूप:
सूर्य की ऊर्जा में बढ़ोतरी: बीते महीने की अपेक्षा कुछ मामलों में ग्रहों के रिश्ते अब अधिक अनुकूल हो सकते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से व्यापार और व्यवसाय के लिए फायदेमंद हो सकती है।
कुंडली के प्रभावित क्षेत्रों में सुधार: इस समय पर वे लोग जिनकी कुंडली में ये ग्रह कमजोर स्थितियों में हैं, उनके लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है। विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी, क्योंकि राहु और केतु के साथ सूर्य का संबंध कुछ अप्रत्याशित घटनाओं को जन्म दे सकता है।
5. राशियों पर विशेष प्रभाव :
वृश्चिक संक्रांति के दौरान सूर्य के प्रभाव से कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा:
वृश्चिक राशि: सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश इस राशि के जातकों के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा। आत्मबल में वृद्धि होगी और वे नई उपलब्धियां प्राप्त करेंगे।
मीन, मकर, और वृषभ राशि: इन राशियों के जातकों को भी सूर्य के प्रभाव से अनुकूल परिणाम मिलेंगे। नौकरी, व्यापार और सामाजिक जीवन में सफलता मिलने की संभावनाएँ हैं।
नौकरी और व्यापार में लाभ: इन राशियों के जातकों को अधिकारियों से सहयोग और सम्मान मिलेगा। कार्यक्षेत्र में वृद्धि और नए अवसर प्राप्त होंगे।
वृश्चिक संक्रांति के दौरान सावधानियाँ :
नए कार्यों की शुरुआत इस दिन न करें, जब तक मुहूर्त शुभ न हो।
पिता का सम्मान विशेष रूप से करें, क्योंकि इस दिन पिता का अपमान करने से सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
दीर्घकालिक निद्रा से बचें, क्योंकि देर तक सोना अशुभ माना जाता है।
दूसरों की सहायता करें, खासकर दान-पुण्य से जुड़ी किसी गतिविधि में।
वृश्चिक संक्रांति एक पवित्र अवसर है जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति लाने का कार्य करता है। इस दिन किए गए उपाय और पूजा विधियाँ न केवल पुण्य प्राप्ति का कारण बनती हैं, बल्कि जीवन को उन्नति की दिशा में भी मार्गदर्शन करती हैं। हम सभी को इस दिन की पूर्ण विधि से पूजा करके भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
आपको इस पावन अवसर पर सूर्य देव और भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त हो, यही हमारी शुभकामनाएँ हैं।
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