विजयादशमी या दशहरा पूजा विधि: 2024 का शुभ मुहूर्त और उपाय
- Bhavika Rajguru
- Oct 5, 2024
- 6 min read
विजयादशमी, जिसे हम दशहरा के नाम से भी जानते हैं, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है।
यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल (2024) में विजयादशमी का पर्व 12
अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
दशहरा 2024 पूजा शुभ मुहूर्त :
पूजा का शुभ मुहूर्त:
समय: दोपहर 01:17 मिनट से 03:35 मिनट तक
कुल अवधि: 2:19 मिनट
रावण दहन का शुभ मुहूर्त:
समय: शाम 05:54 मिनट से 07:27 मिनट तक
श्रवण नक्षत्र समय काल : 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 05:25 मिनट से 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 04:27 मिनट तक
विजयादशमी पर क्या करें, क्या न करें
दशहरे के दिन किए जाने वाले कार्य:
विजयादशमी के दिन शास्त्रों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य, जैसे कि विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश या अन्य
संस्कार नहीं करना चाहिए। यह दिन विशेष रूप से बड़ों का सम्मान करने के लिए समर्पित है, क्योंकि
उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और सफलता प्राप्त होती है।
क्या नहीं करें:
तामसिक पदार्थों से दूर रहें: इस दिन मांस, मछली, मदिरा, लहसुन, और प्याज का सेवन नहीं करना
चाहिए।
पेड़-पौधों को न काटें: दशहरे के दिन शमी वृक्ष का पूजन करना शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन
किसी भी पेड़ या पौधे को काटने से बचें।
दशहरे के दिन पूजा विधि (Dussehra 2024 Puja Vidhi) :
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन की पूजा विधि विशेष महत्व रखती
है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यहां दशहरे की पूजा करने की विधि विस्तार
से दी गई है:
1. दशहरे के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
2. स्नान के बाद साफ और शुभ रंग के कपड़े पहनें। यह पूजा के प्रति आपके सम्मान और श्रद्धा को दर्शाता है।
3. पूजा करने से पहले एक संकल्प लें कि आप मन, वचन और क्रिया से इस पूजा को पूरी श्रद्धा से करेंगे।
स्थान: घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में पूजा स्थल को साफ करें।
4. आठ कमल की पंखुड़ियों या गुलाब की पत्तियों से एक अष्टदल कमल बनाएं। यह शक्ति और
समृद्धि का प्रतीक है।
5. इस अष्टदल कमल के एक ओर माता जया का चित्र और दूसरी ओर माता विजया का चित्र
स्थापित करें। ये दोनों देवी विजय और सफलता की प्रतीक हैं।
6. अपने घर में रखे सभी अस्त्र-शस्त्र (जैसे कि तलवार, कृपाण आदि) की पूजा करें। इन्हें साफ करें
और उनकी आरती करें।
7. भगवान राम, माता सीता और माता काली के मंत्रों का जाप करें। कुछ महत्वपूर्ण मंत्र इस प्रकार हैं:
भगवान राम का मंत्र: ॐ रां रामाय नमः
माता सीता का मंत्र: ॐ सीताये नमः
माता काली का मंत्र: ॐ काली महाक्रौंचाय नमः
8. अभिजीत और विजय मुहूर्त: यदि संभव हो, तो अभिजीत मुहर्त में पूजा करें, जो सामान्यतः दोपहर
12 बजे के आसपास होता है। विजय मुहर्त भी शुभ होता है, जो विशेष दिन पर निर्धारित होता है।
9. पूजा के बाद देवी-देवताओं की आरती करें और भजन गाएं। इससे पूजा में और भी श्रद्धा बढ़ती है।
10.पूजा के बाद, जो भी प्रसाद आपने अर्पित किया है, उसे परिवार के सभी सदस्यों में बांटें। इससे
सभी को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
इस प्रकार, विजयादशमी के दिन की पूजा विधि आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने में
सहायक होती है। श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आशा है कि
आप इस विधि का पालन करके इस पावन अवसर का भरपूर लाभ उठाएंगे।
विजयादशमी के दिन विशेष मान्यताएँ :
नीलकंठ के दर्शन: विजयादशमी के दिन यदि किसी को नीलकंठ के दर्शन हो जाएं, तो इसे बहुत शुभ
माना जाता है। यह शुभ संकेत होता है और इससे लाभ की प्राप्ति होती है।
बच्चियों के लिए दान: इस दिन छोटी बच्चियों के लिए किए गए दान से माता दुर्गा अत्यंत प्रसन्न
होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दान से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन में
वृद्धि और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
रावण दहन की राख: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रावण दहन की राख में सरसो का तेल मिलाकर घर
के कोनों में छिड़कना चाहिए। इस क्रिया से घर की सभी नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।
झाड़ू का दान: विजयादशमी के दिन किसी मंदिर में झाड़ू का दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा
प्राप्त होती है। यह दान धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
इन मान्यताओं का पालन करने से व्यक्ति को सकारात्मकता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विजयादशमी पर शमी वृक्ष का महत्व :
शास्त्रों के अनुसार, विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती
है। इसके साथ ही, ग्रहों की शांति के लिए शमी की लकड़ी से हवन करने का भी महत्व है। शमी की
जड़ से बनी अंगूठी पहनने से अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव कम होता है। इस वृक्ष की लकड़ी को तावीज़ के
रूप में या नीलम रत्न के विकल्प के रूप में धारण करना लाभकारी माना जाता है।
शमी वृक्ष भगवान शिव का स्वरूप है, और शनिदेव उनके शिष्य माने जाते हैं। इस वृक्ष के फूल और
पत्तियों को शिवलिंग पर चढ़ाने से एक लाख पुष्प चढ़ाने का पुण्य फल प्राप्त होता है, जिससे शनिदेव
प्रसन्न होते हैं। इस पूजा से व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यदि कोई कोर्ट
केस चल रहा है, तो उसमें भी विजय मिलने की संभावना होती है।
दशहरे के दिन शमी वृक्ष का दर्शन और पूजन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पवित्र वृक्ष के दर्शन से
पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रातःकाल नित्यकर्म के बाद सभी देवताओं
और गुरुजनों के साथ अस्त्र-शस्त्रों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
पूजा विधि
स्थान चयन: शमी वृक्ष के पास उसकी मूल भूमि के पूर्व या उत्तर दिशा में बैठकर पूजा करें।
पूजन सामग्री: शमी के पत्तों में पूजा स्थान की थोड़ी मिट्टी, चावल और एक सुपारी रखकर कपड़े में
बांधें। इसे कार्य सिद्धि की इच्छा से अपने पास रखें।
प्रार्थना: गणेश जी का स्मरण करते हुए शमी वृक्ष की परिक्रमा करें और प्रार्थना करें: ;हे देव! मेरी सब
दिशाओं में विजय हो, शत्रुओं से मेरी रक्षा हो।
अपराजिता का पूजन: अपराजिता की मिट्टी की मूर्ति रखकर ॐ अपराजितायै नमः का जाप करें।
इसके बाद हल्दी से रंगे हुए वस्त्र में दूब और सरसों रखकर एक डोरा बनाएं और उसे दाहिने हाथ में
धारण करें।
इस प्रकार, विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करके आप शुभता और सफलता का अनुभव कर
सकते हैं।
विजयादशमी के दिन किए जाने वाले विशेष उपाय:-
लाल-किताब ज्योतिष के अनुसार निम्न उपायों के करने से समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है-
रंगोली: दशहरे के दिन इसान कोण में लाल रंग के फूलों से रंगोली बनाने से माता दुर्गा और माता
लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
जौ (जवारें) का पूजन: नवरात्र स्थापना के दिन बोए गए जौ की अंकुरित ज्वारें की जयंती को माथे पर
रखें और इसे धन के स्थान, जैसे अलमारी या तिजोरी में रखें। इससे धन में वृद्धि के शुभ संयोग
बनते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। छात्र यदि इसे अपनी किताबों में रखें तो उनकी बुद्धि और
एकाग्रता में वृद्धि होती है।
नौकरी और व्यापार: दशहरे के दिन एक नारियल लें, उसे पीले कपड़े में लपेटें, और उसके साथ एक
जोड़ा जनेऊ और सवा पाव मिष्ठान किसी राम मंदिर में रखें। इससे करियर में तरक्की के शुभ
अवसर प्राप्त होते हैं।
बीमारी और संकट: यदि आप किसी बीमारी या संकट से परेशान हैं, तो एक पानीदार नारियल लें और
उसे अपने ऊपर से 21 बार उतारकर किसी रावण दहन में डाल दें। यह क्रिया परिवार के सभी सदस्यों
के लिए भी की जा सकती है।
सुंदरकांड का पाठ: विजयादशमी के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से रोग और मानसिक परेशानियाँ दूर
होती हैं।
फिटकरी का उपाय: फिटकरी के एक टुकड़े को घर के सभी सदस्यों के ऊपर से उतारकर, छत या
सुनसान स्थान पर पीछे की ओर फेंक दें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
चांदी का हाथी: यदि आप अपने विचारों को मजबूत करना चाहते हैं, तो एक चांदी का ठोस छोटा हाथी
घर में रखें।
आत्मविश्वास: आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आज सरसों के तेल की एक शीशी मंदिर में दान करें।
परिवार का टीका: परिवार की खुशियों को पुनः प्राप्त करने के लिए एक सफेद चंदन को घिसकर
उसका पेस्ट बनाएं और सभी के माथे पर लगाएं।
करियर में सफलता: करियर में नए मुकाम हासिल करने के लिए एक चुटकी सरसों के दाने बहते जल
में प्रवाहित करें।
धूपबत्ती: मानसिक तनाव से राहत पाने के लिए स्नान के बाद चंदन की खुशबू वाली धूपबत्ती घर के
मंदिर में जलाएं।
कच्चा नारियल: अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के लिए आज कच्चा, जटा वाला नारियल मंदिर
में दान करें।
सिंघाड़े की रोटियाँ: नौकरी में प्रमोशन के लिए सिंघाड़े के आटे की रोटियाँ बनाकर उन पर दो मूली
रखकर मंदिर में दान करें।
स्मरण शक्ति: अपनी स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रात को सोते समय अपने सिरहाने चंदन का
टुकड़ा रखें और सुबह उठकर उसे किसी धार्मिक स्थल पर दान करें।
विजयादशमी का पर्व न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह अपने जीवन में
सकारात्मकता और समृद्धि लाने का अवसर भी है। इस दिन किए गए उपाय और पूजा आपके
जीवन को सफल और खुशहाल बना सकते हैं। इस वर्ष विजयादशमी पर आप इन विधियों और उपायों
का पालन करें और एक सुखद अनुभव प्राप्त करें!
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