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लालकिताब ज्योतिष - विवाह योग एवं गृहस्थ सुख

Updated: Aug 12, 2024

दो गृहस्थियों को अलग-अलग रखते हुये एक कड़ी से जोड़ने वाली चीज़ विवाह और ग्रहचाल में मंगल की ताकत का नाम रखा गया है। यही मंगल खून की कड़ी, लड़की और औरत में फर्क की कड़ी है। इसी वजह से विवाह में मंगल गाये जाते हैं। अगर मंगल नेक(शुभ) हो तो विवाह शुभ और नयी जिन्दगी की शुरुआत है, लेकिन अगर बद(अशुभ) हो तो विवाह किसी श्राप से कम नहीं होगी। मंगल बद(अशुभ) के वक्त सूरज की रोशनी में चमक न होगी(निष्फल)। पुरुष की कुण्डली में शुक्र उसकी पत्नी और स्त्री की कुण्डली में शुक्र उसका पति होगा।

 लालकिताब के अनुसार गृहस्थ(वैवाहिक जीवन) की चक्की कुण्डली के खाना नं0 7 में चलती है और चक्की घुमाने वाली लोहे की कीली खाना नं0 8 में होती है। नीचे वाला पत्थर शुक्र (रोजी-रोटी) और ऊपर घूमने वाला पत्थर बुध (अक्ल) होते हैं।

 दोस्ती दुश्मनी ग्रह दृष्टि आदि सबको ध्यान में रखते हुये वर्षफल में हर घर के हालत के हिसाब से जिस साल शुक्र /बुध को शनि की दोस्ती या उम्र के हिसाब से शनि का समय होता है, तो विवाह होने का योग होगा। सामान्यतः विवाह का योग शुक्र से देखा जाता है । जब बुध इन नियमों  पर विवाह का योग बनाता है, तो भी विवाह का योग होगा सिवाये बुध खाना नं0 12 के। अगर कुण्डली में शुक्र/बुध बर्बाद या मन्दे(अशुभ) हों और स्त्री ग्रह शुक्र चन्द्र के साथ नर ग्रह बृहस्पत या सूर्य या मंगल मददगार साथी या साथ बैठे हों तो जिस साल शनि की मदद या उम्र के हिसाब से शनि का समय हो तो भी विवाह का योग या समय होगा।

 साधारणतया जिस वर्ष शुक्र या बुध लग्न या पहले घर के मालिक या खाना नं0 2,10 से 12 (सिवाये बुध नं0 12) में या अपने पक्के घर खाना नं0 7 में हो जावे लेकिन उस वक्त खाना नं0 3,11 शुक्र के दुश्मन ग्रह (सूर्य चन्द्र राहु) न हो या वह अपने जन्म कुण्डली में स्थित होने वाले घर में  ही आ जावें। शुक्र जब खाना नं0 4 में हो चाहे अकेला या किसी के साथ खाना नं0,7 शुक्र के दुश्मन ग्रह न आयें हों वर्ना विवाह का कोई योग न होगा।  दिए गए विवाह के सालों (22,24,29,32,39,51,60) में जिस साल सूर्य,चन्द्र या राहु खाना नं0 2,7 में न हों तो विवाह होगा। ऐसी हालत में अगर बृहस्पत नं0 7 में आ जावें तो औरत संतान उत्पत्ति के लायक न होगी। दिए हुये सालों में विवाह का योग ज़रूर है मगर विवाह शुभ न होगा। शुक्र खाना नं0 4 की ऐसी हालत में विवाह में देरी हो सकती है।

 जो ग्रह शुक्र को बर्बाद/अशुभ करे या खुद ऐसा अशुभ हो कि विवाह के फल को अशुभ करे,जैसे- चन्द्र नं0 1 के समय 24 या 27वें साल और राहु नं0 7 के समय 21वें साल विवाह शुभ न होगा। सूर्य जब शुक्र के लिए ख़राब हो तो सूर्य की उम्र 22वें साल विवाह शुभ न होगा। अगर शुक्र ख़राब/अशुभ न हो तो विवाह के लिए कोई चिंता न लेंगे। मगर अकेला शनि नं0 6 इस शर्त से बाहर होगा। खासकर जब शुक्र भी उस वक्त नं0 2 या 12 में हों। यानि उम्र का 18-19वां साल विवाह के लिये शुभ समय नहीं होगा।

शुक्र बुध अपने जन्म कुण्डली वाले घर या नं0 1, 7 में आ जावें मगर शुक्र जन्म कुण्डली के खाना नं0 1 से 6 का न हो और उस वक्त नं0 3, 11 में सूरज, चन्द्र, राहु न हों तो विवाह का योग होगा। जब खाना नं0 2,7 खाली हो तो बुध शुक्र ही खुद 2,7 में आने पर, बुध शुक्र बैठे घर का मालिक ग्रह नं0 2,7 में और बुध शुक्र उसकी जगह चले जावें, जैसे- शुक्र बुध नं0 3 हो, मंगल नं0 9 में तो 17वें साल शुक्र बुध नं0 9 व मंगल नं0 7 होने पर विवाह का योग होगा। औरत की कुण्डली में बृहस्पत नं0 4 हो तो विवाह जल्द हो जावेगा और सूर्य मंगल का साथ गुरू से हो तो उसका ससुर न होगा। राहु खाना नं0 1 या 7 या किसी तरह शुक्र से मिल रहा हो तो 21 वें साल का विवाह अशुभ होगा। यही हालत सूर्य शुक्र के मिलने पर 22 से 25 वें साल तक विवाह पर होगी। जिसके लिये उपाय ज़रूरी होगा। शनि खाना नं0 7 वाले का विवाह अगर 22 वें साल तक न हो तो उसकी किस्मत ख़राब होगी। बृहस्पत खाना नं0 1 और नं0 7 खाली हो तो छोटी उम्र का विवाह शुभ होगा। शुक्र के दायें या बायें पापी ग्रह हो या शुक्र बैठा होने वाले घर से 4वें व 8वें मंगल या सूर्य या शनि से कोई एक या इकट्ठे हो तो औरत जलकर मरे या शुक्र का फल अशुभ हो जावे। ऐसी हालत में गऊदान करना शुभ होगा। जन्म कुण्डली में शुक्र स्थापित(कायम) या अपने दोस्तों यानि बुध,शनि, केतु के साथ साथी या दृष्टि में हो, उनसे मदद लेंवे तो पत्नी एक ही । दुश्मन ग्रहों से शुक्र अगर अशुभ हो तो एक से अधिक विवाह का योग बनता है। सूर्य, बुध, राहु एक साथ हो, विवाह एक से ज्यादा मगर फिर भी गृहस्थ का सुख नहीं। बुध खाना नं0 8 में कई विवाह मगर सब औरतें जि़न्दा होवें । जितनी बार वर्षफल में सूर्य और शनि का आपसी टकराव आ जावे उतनी संख्या तक विवाह होंगा। खासकर जब सूर्य नं0 6 और शनि नं0 12 हो तो औरत पर औरत मरती जावे या मां बच्चों का सुख न देखे या सुख देखने से पहले ही मरती जावे। शुक्र बुध दोनों ही शुभ हालत के और मंगल नेक/शुभ का साथ हो तो विवाह व संतान का फल शुभ व उत्तम होगा।




            

विवाह का होना न होना या होकर खराब हो जाना ग्रहों का खेल है। मगर लाल किताब के उपायों से ग्रहचाल को ठीक करके फायदा लिया जा सकता है। यदि उपरोक्त में से किसी भी प्रकार की कोई समस्या/परेशानी आपके जीवन में चल रही है तो हमारे संस्थान के प्रबुद्ध ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करवाये , हमारे संस्थान की email id - rajguruastroscience@gmail.com /फ़ोन नंबर-9256699947 पर संपर्क कर सकते है| 





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