लाल किताब में बृहस्पति ग्रह का महत्व और प्रभाव:
- Bhavika Rajguru
- Jul 23, 2024
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ज्योतिष में बृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी है और कर्क राशि में इसका उच्च स्थान होता है, जबकि मकर राशि में इसे नीच माना जाता है। बृहस्पति के मित्र ग्रह सूर्य, मंगल और चंद्रमा हैं। इसके विपरीत, शुक्र और बुध इसके शत्रु हैं, जबकि शनि और राहु इसके सम-भाव ग्रह होते हैं।
लाल किताब में बृहस्पति को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसके प्रतीकों में पीपल का पेड़, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ शामिल हैं।
बृहस्पति की स्थिति और उसकी पहचान :
संसार के हर प्राणी और वस्तु में गुण और अवगुण दोनों होते हैं। इसी तरह, आकाश में विचरण कर रहे ग्रहों में भी गुण और अवगुण होते हैं। बृहस्पति ग्रह मान, प्रतिष्ठा और उत्पत्ति का कारक माना जाता है। हालांकि, जब बृहस्पति कमजोर होता है, तो ये गुण समाप्त हो सकते हैं। जातक अपने कर्मों के द्वारा अपनी जन्मकुंडली में बृहस्पति को कमजोर कर सकता है, विशेष रूप से यदि बृहस्पति चतुर्थ भाव में अच्छा फल देने वाला हो। पिता, दादा, ब्राह्मण और बुजुर्गों का अपमान करने से बृहस्पति का उत्तम प्रभाव निष्फल हो जाता है।
बृहस्पति के बुरे प्रभाव के लक्षण :
1.सिर के बीचों-बीच से बाल उड़ने लगते हैं :
यह लक्षण बृहस्पति के कमजोर प्रभाव को दर्शाता है, जो कि स्वास्थ्य समस्याओं और जीवन की स्थिरता में कमी का संकेत हो सकता है।
2.शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न होने लगता है :
जब बृहस्पति कमजोर होता है, तब शिक्षा और ज्ञान में बाधाएं उत्पन्न होती हैं, जिससे सीखने में कठिनाई और अकादमिक असफलता हो सकती है।
3.नेत्र में पीड़ा होने लगती है :
बृहस्पति के बुरे प्रभाव से नेत्र संबंधित समस्याएं और दर्द उत्पन्न हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का संकेत हो सकते हैं।
4.सपने में सर्प का दिखना :
सर्प का दिखना बृहस्पति के कमजोर प्रभाव का संकेत हो सकता है और यह मानसिक तनाव, भय, या अप्रिय स्थितियों को दर्शाता है।
5.व्यक्ति के बारे में बेकार की अफवाहें उड़ना
जब बृहस्पति कमजोर होता है, तो व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है, और उनके बारे में नकारात्मक अफवाहें फैल सकती हैं।
6.गले में दर्द और फेफड़े की बीमारी होना
बृहस्पति के बुरे प्रभाव से गले की समस्याएं और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं, जो स्वास्थ्य में असंतुलन का संकेत होती हैं।
इन लक्षणों के संदर्भ में उचित उपायों और उपचारों के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण है।
बृहस्पति की शांति के लिए उपाय :
जब जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो तो, लाल किताब से संबंधित निम्न उपाय अवश्य करना चाहिए।
1.हल्दी की गांठ :
हल्दी की गांठ को पीले रंग के धागे में बांधकर दायीं भुजा पर पहनना चाहिए।
2.केसर का तिलक और पुड़िया :
केसर का तिलक लगाना और केसर की पुड़िया को पीले रंग के कपड़े या कागज में बांधकर अपने पास रखना चाहिए।
3.पीले रंग के वस्त्र और पर्दे
पीले रंग के वस्त्र पहनना और घर में पीले रंग के पर्दे लगाना शुभ होता है।
4.पीले सूरजमुखी का पौधा
घर में पीले सूरजमुखी का पौधा लगाना चाहिए।
5.सोने की चेन
सोने की चेन धारण करना चाहिए।
6.व्यक्ति को माता-पिता, गुरुजन और अन्य पूज्यनीय व्यक्तियों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखना चाहिए।
7.किसी मंदिर या धार्मिक स्थल पर जाकर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
8.गुरुवार के दिन मंदिर में केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए।
9.गुरुवार के दिन आटे की लोई में चने की दाल, गुड़ और हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
10.चूंकि गुरु आध्यात्मिक ज्ञान का कारक कहा जाता है इसलिए बुद्धिजीवी व्यक्ति और गुरुजन का सम्मान करें।
11.गुरुवार के दिन ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः!’ मंत्र का जाप करें।
12.गुरुवार को बृहस्पति के वैदिक मंत्र का जाप करने से मोटापा और पेट से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं।
13.गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, पीले पकवान और पीले वस्त्र का दान करें।
14.बृहस्पति ग्रह से संबंधित यह सभी उपाय गुरुवार के दिन बृहस्पति के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद) और गुरु की होरा में करना चाहिए।
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BHAVIKA RAJGURU
LAL KITAB ASTROLOGER
( RAJGURUASTROSCIENCE )
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