लाल-किताब ज्योतिष में राहु और राजनीति: बदलाव और स्थिरता का खेल
- Bhavika Rajguru
- Sep 7, 2024
- 2 min read
राजनीति में अक्सर विचारधारा की बजाय वक्त और व्यक्तित्व की भूमिका होती है।
राजनीतिक नेताओं का व्यक्तित्व और उनकी नीतियां समय के साथ बदलती रहती हैं।
राजनीति में राहु एक प्रमुख तत्व है, जो हमेशा बदलता रहता है और कभी स्थिर नहीं रहता।
राहु वक्त की पहचान बहुत जल्दी कर लेता है और अपने लाभ के लिए बदलाव कर लेता है।
अगर राहु बदलता नहीं, तो वह राहु नहीं हो सकता।
राहु: राजनीति का बदलता तत्व
1. परिवर्तनशीलता: राहु का स्वभाव हमेशा बदलता रहता है। राजनीति में नेताओं की
नीतियां और दृष्टिकोण समय के साथ बदलते रहते हैं। राहु की वजह से राजनीति में
स्थिरता कम देखने को मिलती है क्योंकि यह हर पल बदलाव को अपनाता है।
2. समय की पहचान: राहु समय की गति को बहुत जल्दी समझ लेता है और इसके
अनुसार अपनी रणनीतियों में बदलाव कर लेता है। यह अपने लाभ के लिए समय के
साथ बदलाव करता है, और नेताओं की नीतियां भी समय के अनुसार बदलती रहती
हैं।
3. स्वार्थ: राहु अपने लाभ को सबसे ऊपर रखता है। इसलिए, राजनीतिक नेता अक्सर
अपनी नीतियों और दृष्टिकोण को बदलते रहते हैं ताकि वे अपने स्वार्थ को पूरा कर
सकें। राहु के प्रभाव में, नेताओं का स्वार्थ प्रमुख होता है।
केतु: समर्थकों की स्थिरता
1. स्थिरता और निष्ठा: समर्थक, जिनका प्रतीक केतु है, आमतौर पर स्थिर और निष्ठावान
होते हैं। वे लंबे समय तक अपने नेता के प्रति वफादार रहते हैं और उनका समर्थन
करते हैं, चाहे नेता की नीतियां बदल जाएं।
2. निराशा और ठगा हुआ महसूस करना: जब नेता अपनी नीतियों या दल को बदलते हैं,
तो समर्थक खुद को धोखा महसूस कर सकते हैं। वे असहज हो जाते हैं और उन्हें
लगता है कि नेता ने उनका विश्वास तोड़ा है, जिससे वे निराश हो जाते हैं।
3. समर्थकों की एकता: जब समर्थक बहुत निराश हो जाते हैं, तो वे एक बड़े समूह के रूप
में एकत्र हो जाते हैं, जैसा कि राहु का प्रभाव दर्शाता है। इस दौरान, वे मिलकर बदलाव
की मांग करते हैं। लेकिन जब स्थिति सामान्य हो जाती है, तो ये समर्थक फिर से
अपने पुराने स्वभाव में लौट आते हैं, जैसे केतु की स्थिरता को पुनः अपनाते हैं।
राजनीति में राहु की तरह बदलते हुए नेता और केतु की तरह स्थिर समर्थक एक विशेष
संतुलन बनाते हैं। नेताओं के बदलते स्वभाव और समर्थकों की स्थिर निष्ठा इस परिदृश्य का
महत्वपूर्ण हिस्सा है। अंततः, राजनीति में सब कुछ एक प्रकार के स्थायित्व की ओर लौटता है, जो दर्शाता है कि;पहुंची वहीं पर ख़ाक जहां का ख़मीर था, यानी अंततः सब कुछ अपने
मूल स्थान पर लौट आता है, चाहे कितना भी बदलाव क्यों न हो।
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महादेव आपकी रक्षा करे |
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