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लाल-किताब ज्योतिष और विशेष ग्रह-योग :

लाल-किताब ज्योतिष के अनुसार, आपकी जन्मकुंडली में ग्रहों के विभिन्न योग जीवन के हर

पहलू को प्रभावित कर सकते हैं। हर घटना, चाहे छोटी हो या बड़ी, ग्रह योग से जुड़ी होती है।

एक कुशल और अनुभवी ज्योतिषी आपकी जन्मकुंडली का विश्लेषण करके आपको जीवन की

घटनाओं से अवगत करा सकता है। आइए, लाल-किताब के अनुसार कुछ विशेष ग्रह योगों को

विस्तार से समझते हैं:


1. पहले घर में सूर्य और चंद्रमा-शनि का दृष्टि योग:

यदि आपकी कुंडली के पहले घर में सूर्य स्थित है और चंद्रमा तथा शनि की दृष्टि

योग में है, तो यह सिर और आँखों से संबंधित समस्याओं का संकेत हो सकता है।

ऐसी स्थिति में चश्मा लगने की संभावना रहती है और सिर में अक्सर दर्द या अन्य

समस्याएं बनी रहती हैं। दवाओं से भी राहत मिलना मुश्किल हो सकता है। इस

स्थिति में या तो जातक स्वयं दवाओं पर निर्भर रहता है या उसके परिवार में किसी

को दवाओं की जरूरत होती है।

2. दूसरे घर में सूर्य:

यदि सूर्य दूसरे स्थान पर स्थित है, तो जातक की इच्छाएं पूरी नहीं होतीं। अगर बुध

भी इस स्थिति में पीड़ित होता है, तो इसका असर पिता की सेहत और व्यापार पर

पड़ता है। इस स्थिति में जातक के पिता की स्वास्थ्य समस्याएं या कारोबार में

उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।

3. चौथे घर में मंगल और राहु का प्रभाव:

जब मंगल चौथे स्थान पर होता है, तो जातक जिद्दी हो सकता है। यदि साथ में राहु

दूसरे स्थान पर बैठा हो, तो जातक अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रख पाता और

गुस्से में गलत बातें कह सकता है। इसके बाद उसे अपने शब्दों के लिए पछतावा हो

सकता है। उसकी बातें दूसरों के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

4. चौथे घर में राहु:

चौथे घर में राहु मन को चंचल बना सकता है। यह स्थिति किसी भी व्यक्ति, पुरुष

या महिला, को छोटी-छोटी बातों पर संवेदनशील बना देती है और आंसू निकल आते

हैं। यदि बुध बाहरवाले स्थान पर पीड़ित हो, तो दांतों और हड्डियों पर नकारात्मक

प्रभाव पड़ सकता है।

5. बारहवें घर में मंगल और सातवें घर में शनि:

जब बारहवें घर में मंगल और सातवें घर में शनि होते हैं, तो जातक के लिए व्यय पर

नियंत्रण रखना मुश्किल होता है। हाथ में पैसे आते ही, कोई न कोई खर्च करने का

कारण सामने आ जाता है। जीवन की कठिनाइयों के बावजूद, जातक का भाई उन्नति

की ओर बढ़ता रहता है।

6. दसवें घर में मंगल:

अगर मंगल दसवें घर में स्थित है, तो व्यक्ति की परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होती

हैं और उसके मन की इच्छाएँ पूरी होती हैं। हालांकि, यदि शनि या केतु चौथे घर में

हों, तो जातक को संतान और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


हर जन्मकुंडली में ग्रहों के विभिन्न योग हो सकते हैं, जो जीवन की समस्याओं को जन्म देते

हैं। अगर इन योगों का उपाय समय पर न किया जाए, तो व्यक्ति को जीवनभर परेशानियों

का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, अपनी जन्मकुंडली को एक प्रबुद्ध ज्योतिषी से

अवश्य दिखाएँ और जानें कि कौन से ग्रह योग आपके जीवन में समस्याएँ पैदा कर रहे हैं

और उनके समाधान क्या हैं। इससे आप अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त कर सकते हैं।


यदि आप अपने जीवन में किसी समस्या का सामना कर रहे हैं और समाधान चाहते हैं, तो हमारे

संस्थान के अनुभवी ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट

www.rajguruastroscience.com पर जाएं या हमें फोन नंबर 9256699947 पर संपर्क करें।

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