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लाल किताब ज्योतिष और रोग-बीमारी का कनेक्शन -

लाभ-हानि, जीत-हार, सुख दुख, सेहत-बीमारी, ज़िन्दगी के हर दो पहलू हैं। वर्षफल के हिसाब से खाना नं. 3, 5, 8 , 11 की अशुभ अवस्था से स्वास्थ्य के दृष्टीकोण जीवन में अशुभ हालात होंगे।अगर यह सब खाने खाली हों तो खाना नं. 4 की हालत पर निर्भर होगा।

बीमारी की शुरुआत खाना नं. 8 से होगी। खाना नं.2-4 उस बीमारी का बहाना होंगे। खाना नं. 10 इसमें उत्प्रेरक का काम करेगा। खाना नं. 5 रूपए पैसे का खर्च और खाना नं. 3 मौत के कारण व बहाना बतायेगा। खाना नं. 3 के ग्रह खाना नं. 8 की अशुभ अवस्था से बचाने वाले होंगे, परन्तु शर्त यह होगी कि खाना नं. 11 के दुश्मन ग्रहों से वह अशुभ न हो लेकिन  फैसला चन्द्र की अवस्था पर निर्भर होगा। अगर चन्द्र खाना नं. 4 में बैठा हो और राहु केतु खाना नं. 2-8 या 6-12 में बैठे हों तो उम्र के हिसाब से कोई अशुभ असर न लेंगे।


चूंकि बीमारी का बहाना खानां. 2 से शुरू होता है और उसमें उत्प्रेरक(बढ़ावा) खाना नं. 10 पैदा करेगा। इसलिए जब खाना नं. 2 आपस में दुश्मन ग्रह बैठे हों या उनका असर खाना नं. 8 में बैठे हुए दुश्मन ग्रहों के हिसाब से अशुभ हो रहा हो तो ऐसी ज़हर का खाना नं. 2 पर कोई अशुभ असर न होगा । मगर उसी वक्त खाना नं. 10 खाली न हो तो खाना नं. 2 में बीमारी का बहाना और उसमें उत्प्रेरक(बढ़ावा)में ज़रूर दखल देगी। लेकिन अगर खाना नं. 10 खाली हो तो नं. 2 के आपसी दुश्मन ग्रहों का बीमारी के हिसाब से कोई सम्बन्ध  न होगा।


अशुभ ग्रह जिस दिन खाना नं. 3 या 9 में आवें,स्वास्थ्य के दृष्टीकोण से बुरा समय होगा। जिसकी नींव पर राहु केतु का प्रभाव होगा। राहु की शुभ-अशुभ अवस्था का पता बुध और केतु की शुभ-अशुभ अवस्था का पता बृहस्पति की स्थिती से चलेगा। जिसकी रोकथाम खाना नं. 8 से और प्रोपर इलाज खाना नं. 5 करेगा। लेकिन अगर खाना नं. 5 खाली हो तो स्वास्थ्य के दृष्टीकोण से स्थिति उत्तम होगी और अगर बीमार हो भी जाए तो स्वतः ही ठीक हो जायेगी।  खाना नं. 3 बीमारी के बहाने से अगर बर्बादी देता है तो खाना नं. 5 मृत शरीर में आत्मा वापिस डाल देता है। इन दोनों खाना नं. 3 और 5 की नीव खाना नं. 9 होगा। अगर खाना नं. 3 व 5 दोनो ही खाली हों तो नं. 2,6,8,12 का  सामूहिक प्रभाव, नतीजा होगा। जिसकी आखिरी अपील चन्द्र पर होगी। बृहस्पति अशुभ हो तो खाना नं. 5 पर अशुभ असर होता है।


खाना नं. 3 , 9 अशुभ हो तो नं. 5 अशुभ होगा। लेकिन अगर खाना नं. 9 में सूरज या चन्द्र हो तो नं. 5 शुभ होगा। खाना नं. 10 के लिए नं. 5, 6 के ग्रह ज़हरी दुश्मन होंगे । जन्म कुण्डली में जब सूरज या चन्द्र के साथ शुक्र बुध या कोई पापी बैठा हो तो जिस वक्त वह नं. 1, 6, 7, 8, 10 में आवें, स्वास्थ्य के दृष्टीकोण में अशुभ समय होगा।

ग्रह व बीमारी का सम्बन्ध-

जब कोई बीमारी तंग करे तो फौरन उसके सम्बन्धित ग्रह का उपाय करें तो मदद हो जायेगी। इकट्ठे ग्रहों की हालत में उस ग्रह का उपाय करें जिसके असर से दूसरा ग्रह भी अशुभ (बर्बाद) हो रहा हो । जैसे- बृहस्पति राहु अशुभ के समय राहु का उपाय मददगार होगा।


ग्रहों से सम्बंधित बीमारियां


बृहस्पति

सांस, फेफड़े से सम्बंधित बीमारियाँ

सूर्य

दिल धड़कना, सूर्य कमज़ोर जब चन्द्र की मदद न मिले तो पागलपन, मुंह से झाग निकलना, किसी अंग की ताकत बेकार हो जाना। सूर्य नं. 6 बुध नं. 12 ब्लड प्रैशर की बीमारी ।

चन्द्र

दिल की बीमारियां(ह्रदय से सम्बंधित रोग), दिल धड़कना, आंख की बीमारियां।

शुक्र

चमड़ी के रोग- खुजली, दाद वगैरह। नाक छेदन से मदद होगी।

मंगल

नासूर(ना भरने वाला घाव), पेट की बीमारियां, हैज़ा, पित्त, मेदा ।

मंगल बद

भगंदर (फोड़ा), नासूर ।

बुध

चेचक, दिमागी बीमारिया, खुशबू या बदबू का पता न लगना, नसो, ज़ुबान या दांत की बीमारियां।

शनि

नज़र की बीमारियां, खांसी , दमा की बीमारियां। बहते पानी में नारियल बहाना सहायक होगा|

राहु

बुखार, दिमागी बीमारियाँ, प्लेग, दुर्घटना, अचानक चोट ।

केतु

जोड़, गैस, दर्द जोड़, फोड़े फुंसी, रसौली, सुजाक, गर्मी,लू , पेशाब की बीमारी,  कान के रोग, रीढ़ की हड्डी, हर्निया ।

{बृहस्पति राहु , बृहस्पति बुध}

पीलिया दमा,सांस की बीमारियाँ ।

{राहु केतु , चन्द्र राहु}

बवासीर ,पागलपन, निमोनिया

{बृहस्पति राहु , सूर्य शुक्र}

दमा, तपेदिक(टी.बी.)

{ बुध बृहस्पति, मंगल शनि }

कोढ़ खून के रोग, शरीर का कट-फट जाना।

{शुक्र राहु}

नामर्दी (नपुंसक) ।

{शुक्र केतु}

स्वप्न दोष ।

{बृहस्पति मंगल बद}

पीलिया ।

{चन्द्र बुध या , मंगल का टकाराव}

पथरी ।


उपाय-

अगर घर से बीमारी दूर ही न होती हो या एक के बाद दूसरा बीमार हो जावे तो:-


1. घर के सभी सदस्यों और उस महीने में आये मेहमानों की संख्या से कुछ एक ज्यादा मीठी गुड की रोटियां, चाहे छोटी-छोटी हों तंदूर में पका कर महीनें में एक बार बाहर जानवरों, कुत्तों, कौवों आदि को डाल दिया करें।

2.  कद्दू पका हुआ, पीला रंग और अन्दर से खोखला तीन महीने में एक बार धर्म स्थान में रख दिया करें।

3. अगर कोई मरीज़ आराम ना पावे तो रात को उसके सिरहाने रूपया पैसा रखकर सुबह सफाई कर्मी को 40-43 दिन देवें। यह पिछले जन्म का लेन देन का टैक्स होता है।

4. जब कभी शमशान या कब्रिस्तान में से गुज़रने का मौका मिले तो रूपया पैसा वहां गिरा दिया करें।

 

 यदि उपरोक्त में से किसी भी प्रकार की कोई समस्या/परेशानी आपके जीवन में चल रही है तो हमारे संस्थान के प्रबुद्ध ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करवाये , हमारे संस्थान की email id - rajguruastroscience@gmail.com /फ़ोन नंबर-9256699947 पर संपर्क कर सकते है|

 

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