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रंग पंचमी 2025: कब और क्यों मनाते हैं, तिथि, महत्व, उपाय और मंत्र :

रंग पंचमी हिंदू धर्म का एक विशेष और उल्लासपूर्ण पर्व है, जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। यह

पर्व रंगों, उमंगों, और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में खुशी और धूमधाम

के साथ मनाया जाता है। पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार इस पावन पर्व पर साधारण उपाय व मन्त्र अनुष्ठान के द्वारा अपने जीवन के कष्टों को दूर करके देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त की जा सकती है|

रंग पंचमी 2025: कब है? (When Is Rang Panchami 2025?)

रंग पंचमी 2025 का पर्व 19 मार्च, 2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि का समय रात 10:09 बजे (18 मार्च) से लेकर 20 मार्च, रात 12:37 बजे तक रहेगा। इस दिन का इंतजार लोग पूरे साल करते हैं, क्योंकि यह दिन रंगों और रिश्तों में गर्माहट और खुशियों का प्रतीक होता है।

रंग पंचमी का महत्व (Significance of Rang Panchami)

  • रंग पंचमी का आयोजन होली के पांच दिन बाद आता है, और इसे रज और तम के गुणों पर विजय

प्राप्त करने का दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि रज (नकारात्मकता)

और तम (अज्ञानता) के गुणों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बुराई और दुख लाते हैं। रंग पंचमी इस

बुराई पर विजय का प्रतीक मानी जाती है।

  • पंच तत्वों का सम्मान: रंग पंचमी का पर्व पंच तत्वों – पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, और अग्नि – का

सम्मान करता है, क्योंकि इन्हीं तत्वों से मानव शरीर और ब्रह्मांड की रचना हुई है। इन तत्वों के

संतुलन के साथ, इस दिन का उद्देश्य जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता लाना होता है।

  • आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह: यह दिन रंगों के माध्यम से देवताओं को आह्वान करने का दिन होता

है, जिससे वातावरण में शुद्धता, आनंद, और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

रंग पंचमी का ज्योतिषीय दृष्टिकोण (Astrological Significance of Rang Panchami)

पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार, रंग पंचमी का पर्व जीवन में सकारात्मक ऊर्जा

लाने के साथ ही व्यक्तिगत ग्रहों और राशियों पर भी शुभ प्रभाव डालता है। यह दिन मंगल और बुध ग्रह की

अनुकुलता स्थापित करने और मानसिक शांति पाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।

रंग पंचमी के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान (Rituals of Rang Panchami)

रंग पंचमी का पर्व विशेष रूप से रंगों से खेलने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसके साथ-साथ इसमें धार्मिक

अनुष्ठान भी होते हैं:

1. पूजा विधि:

o रंग पंचमी के दिन भगवान श्री विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

o भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और फिर शुद्ध वस्त्र पहनते हैं।

o इसके बाद मंदिरों में घी या तेल का दीपक जलाकर पूजा की जाती है।

o भक्त धूप, गंध, सिंदूर, चंदन, अबीर आदि भगवान को अर्पित करते हैं।

o सबसे महत्वपूर्ण पूजा में रंगों का अर्पण भी किया जाता है।

2. मंत्रों का जाप: रंग पंचमी के दिन विशेष मंत्रों का जाप भी बहुत फलकारी माना जाता है।

  • ओम ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधारमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा।

  • श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय नमः ओम कृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नः श्रीकृष्ण प्रचोदयात्।

  • ओम प्रेमधनरूपिण्यै प्रेमप्रदायिन्यै श्रीराधायै स्वाहा।

  • देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते! देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गता:!!

  • ॐ क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा।

  • ॐ श्रीं श्रीये नमः

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