माता शीतला सप्तमी और अष्टमी पूजा विधि, भोग, और समृद्धि के उपाय (Basoda 2025) :
- Bhavika Rajguru
- Mar 16
- 3 min read
आपकी प्रार्थना और आशीर्वाद की शुरुआत :
हम इस ब्लॉग के माध्यम से माता शीतला से यह प्रार्थना करते हैं कि आपके घर में कोई भी रोग या दोष
न हो और आपके घर में हमेशा सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। क्योंकि माता शीतला की पूजा में ठंडे
और बासी भोजन का अर्पण किया जाता है, इसलिए इस विशेष पूजा को बसोड़ा भी कहा जाता है। इस लेख
में पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु आपको बताएंगी कि माता शीतला की पूजा किस प्रकार से की जा सकती है, ताकि आपको उनके आशीर्वाद और कृपा से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख की प्राप्ति हो सके।

माता शीतला सप्तमी तिथि और शुभ मुहूर्त (2025) :
माता शीतला की पूजा के लिए शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का महत्व बहुत विशेष होता है। 2025
में शीतला सप्तमी और अष्टमी की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
शीतला सप्तमी:
तिथि: 21 मार्च 2025, शुक्रवार
पूजा मुहूर्त: 06:01 A.M. से 18:08 P.M.
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 21 मार्च 2025, 02:45 A.M.
सप्तमी तिथि समाप्त: 22 मार्च 2025, 04:23 A.M.
शीतला अष्टमी:
तिथि: 22 मार्च 2025, शनिवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 मार्च 2025, 04:23 A.M.
अष्टमी तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025, 05:23 A.M.
पूजा मुहूर्त: 06:23 A.M. से 06:33 P.M.
अवधि: 12 घंटे 11 मिनट्स
रांदा-पौआ विशेष- इन तिथियों के अनुसार रांदा-पौआ अर्थात प्रसाद व पकवान बनाना 20 मार्च 2025
गुरूवार को होगा|
शीतला सप्तमी और अष्टमी का महत्व (Sheetla Saptami and Ashtami Mahatv) :
स्कंद पुराण और अन्य हिंदू ग्रंथों के अनुसार, माता शीतला का यह पर्व विशेष रूप से म हामारी रोगों जैसे
कि चेचक और खसरा से बचने और उनसे मुक्ति पाने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। शीतला शब्द
का शाब्दिक अर्थ ठंडा है, और वे ठंडक से रोगों को ठीक करती हैं। इसी कारण माता शीतला की पूजा को
बासोड़ा भी कहा जाता है, जिसमें ठंडा और बासी भोजन अर्पित किया जाता है।
माता शीतला की पूजा विधि (How to Perform Sheetla Mata Puja) :
माता शीतला की पूजा विधि सरल है, लेकिन श्रद्धा से की जानी चाहिए। यहाँ दी गई पूजा विधि का पालन
करें:
1. ब्राह्म मुहूर्त में उठें:
पूजा करने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त हो जाएं। फिर स्नान करें (यदि
संभव हो तो गंगाजल का प्रयोग करें) और शुद्ध वस्त्र पहनें, खासकर नारंगी रंग के वस्त्र।
2. पूजा सामग्री तैयार करें:
पूजा के लिए दो थालियाँ सजाएं:
o पहली थाली में: दही, रोटी, नमक पारे, पुआ, मठरी, बाजरा, मीठे चावल (जो एक दिन पहले बने
हों), और कुछ विशेष पकवान रखें।
o दूसरी थाली में: आटे का दीपक (बिना जलाए हुए), रोली, वस्त्र, अक्षत (चावल), सिक्का, मेहंदी
और एक लोटा पानी रखें।
3. मंदिर में पूजा करें: मंदिर में माता शीतला की पूजा करें। बिना दीपक जलाए, उसे थाली में रखें और
वहां रखे भोग को अर्पित करें। साथ ही नीम के पेड़ पर जल अर्पित करें।
4. मंत्र का जाप करें:
o ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः
o वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्
5. मंदिर से जल प्राप्त करें: यदि आप मंदिर गए हैं और वहां माता शीतला की पूजा की है, तो प्रतिमा
से बहा हुआ जल एक बर्तन में इकट्ठा करें और घर के सभी सदस्यों पर एवं घर के हर कोनें में
छिड़कें।
बसोड़ा पूजा में वर्जित कार्य (Things to Avoid on Basoda Day) :
बसोड़ा पूजा के दिन कुछ विशेष कार्यों को करने की मनाही होती है:
1. घर की सफाई न करें:
पूजा के दिन घर में झाड़ू-पोंछा न लगाएं। सफाई एक दिन पहले कर लें।
2. साबुन का प्रयोग न करे :
इस दिन साबुन से नहाना व कपड़े धोना वर्जित होगा |
3. सिलाई और कढ़ाई न करें:
इस दिन सुई-धागा, सिलाई मशीन का उपयोग न करें।
4. अग्नि का प्रयोग न करें:
इस दिन चूल्हे पर खाना न पकाएं, केवल पहले से बने ठंडे भोजन का सेवन करें।
5. सूप का उपयोग न करें:
सूप का उपयोग न करें, विशेषकर अनाज साफ करने के लिए।
शीतला माता से समृद्धि की प्रार्थना
पूजा के बाद माता शीतला से प्रार्थना करें: हे माता शीतला! भवतः आशीर्वादेन अस्माकं गृहे सुखं, समृद्धिं, स्वास्थ्यं च कामयामः। कृपया अस्माकं बालकानां त्वक्रोगाः, चेचक, खसरा, दाहज्वर इत्यादिभ्यः किमपि प्रकारस्य रोगेभ्यः रक्षन्तु।
भवतः आशीर्वादेन अस्माकं जीवनं सफलं स्वस्थं च कर्तुम् इच्छामः।
हे माता शीतला! हम आपके आशीर्वाद से अपने घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
कृपया हमारे बच्चों को किसी भी प्रकार के रोगों, जैसे त्वचा रोग, चेचक, खसरा, जलन वाले बुखार आदि से
बचाएं। हम आपके आशीर्वाद से अपना जीवन सफल और स्वस्थ बनाना चाहते हैं। दान का महत्व
(Importance of Charity on Basoda) :
बसोड़ा पूजा के दिन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गाय, कुत्ते, और विशेष रूप से गधे को चारा या
भोजन देना बहुत लाभकारी है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
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