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महाशिवरात्रि पर रूद्राभिषेक और चारों प्रहर पूजन का महत्व :

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है, जो न केवल आध्यात्मिक

महत्व रखता है बल्कि इससे जुड़ी पूजा विधियाँ और रूद्राभिषेक विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं। खासकर

इस दिन चारों प्रहर में पूजन और रूद्राभिषेक करना जीवन में समृद्धि और सुख-शांति लाने के लिए

महत्वपूर्ण है। आइए जानें इस दिन रूद्राभिषेक और चारों प्रहर पूजन का महत्व और इसका धार्मिक संदर्भ।

रूद्राभिषेक का महत्व:

रूद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। शास्त्रों के अनुसार, रूद्राभिषेक से न

केवल व्यक्ति के पापों का नाश होता है, बल्कि यह जीवन में सुख, समृद्धि और संतुष्टि की प्राप्ति का

कारण बनता है।

क्यों करें रूद्राभिषेक?

  • भगवान शिव का नाम ‘आशुतोष’ है, जो शीघ्र प्रसन्न होने वाले का प्रतीक है। शिव जी का एक नाम ‘शूलपाणि’ भी है, जो शूल (त्रिशूल) धारण करने वाले को दर्शाता है। इस कारण रूद्राभिषेक से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है और उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।

  • भगवान शिव के भक्तों को ‘नमस्कार प्रियो भानुः जलधारा प्रियो हरः’ श्लोक से यह सिद्ध होता है कि भगवान शिव को अभिषेक करना अत्यंत प्रिय है और उनके अभिषेक से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं।

रूद्राभिषेक का प्रभाव :

  • शास्त्रों में कहा गया है “रूद्राभिषेकं प्रकृर्वन्ति दुःखनाशो भवेद् ध्रुवम्”, अर्थात रूद्राभिषेक से निश्चित रूप से दुःखों का नाश होता है। महाशिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

चारों प्रहर पूजन का महत्व:

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर में पूजा का विशेष महत्व है। प्रत्येक प्रहर में शिव के विभिन्न रूपों का अभिषेक

किया जाता है, जो भक्त की विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।

चारों प्रहर में पूजन विधि :

  • प्रथम प्रहर (दूध से अभिषेक): पहले प्रहर में शिव के ईशान स्वरूप का दूध से अभिषेक करें। यह भगवान शिव के दिव्य रूप का पूजन होता है।

  • द्वितीय प्रहर (दही से अभिषेक): दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप का अभिषेक करें। अघोर शिवजी के रूप में अनाहत और निराकार ऊर्जा का संकेत मिलता है।

  • तृतीय प्रहर (घृत से अभिषेक): तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप का अभिषेक करें। यह पूजन भक्त की

मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति के लिए होता है।

  • चतुर्थ प्रहर (मधु से अभिषेक): चौथे प्रहर में मधु से सद्योजात स्वरूप का अभिषेक करें। यह स्वरूप स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

रूद्राभिषेक के विशेष लाभ:

1. दुःखों का नाश: रूद्राभिषेक से जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं और शांति की प्राप्ति होती है।

2. चंद्र दोष निवारण: महाशिवरात्रि पर शिव जी के पूजन से चंद्र दोष भी दूर होता है, जिससे मानसिक शांति और मन की स्थिति मजबूत होती है।

3. सभी इच्छाओं की पूर्ति: रूद्राभिषेक और महाशिवरात्रि की पूजा से सभी प्रकार की इच्छाएं पूरी होती हैं और बुरे ग्रह, नक्षत्रों का प्रभाव समाप्त होता है।

4. पापों का नाश: महाशिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।


महाशिवरात्रि का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व:

महाशिवरात्रि का पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन

चंद्रमा कमजोर होता है और भगवान शिव ने उसे अपने मस्तक पर धारण किया है। अतः महाशिवरात्रि पर

भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के चंद्रमा का दोष समाप्त होता है और मानसिक शांति मिलती है।

ज्योतिषीय महत्व :

  • चतुर्दशी तिथि: महाशिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

  • सूर्य उत्तरायण: महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण होते हैं, जो नए शुभ समय की शुरुआत का प्रतीक है। यह समय सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अनुकूल होता है।


महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की उपासना और रूद्राभिषेक के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। चारों

प्रहर पूजन और रूद्राभिषेक से न केवल पापों का नाश होता है बल्कि जीवन में समृद्धि, शांति और सुख की

प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से चंद्र दोष भी समाप्त होते हैं और व्यक्ति के जीवन में

सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।मंत्रों का उच्चारण शिवलिंग पूजा के दौरान भगवान शिव की आराधना में

विशेष महत्व रखता है। हर एक मंत्र का अपना विशेष उद्देश्य और प्रभाव होता है। श्रद्धा और समर्पण के

साथ इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। भगवान शिव की

उपासना से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन की कठिनाइयों से भी मुक्ति दिलाता है।

यदि आप महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर विधिपूर्वक रूद्राभिषेक और चारों प्रहर पूजन करते हैं, तो

भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है और आपके जीवन में हर दिशा से सुख और समृद्धि का वास

होता है।

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