बृहस्पति ( गुरु ) ग्रह : लाल किताब के अनुसार बृहस्पति का प्रथम भाव में प्रभाव : -
- Bhavika Rajguru
- Jul 25, 2024
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गुरु ग्रह धन, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक होता है। यह जीवन में शुभता और उन्नति लाने में मदद करता है।
गुरु या बृहस्पति धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति ग्रह कर्क राशी में उच्च भाव में रहता है और मकर राशि में नीच बनता है। सूर्य चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्पति के लिए मित्र ग्रह है, बुध शत्रु है और शनि तटस्थ है। बृहस्पति के तीन नक्षत्र पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद होते हैं |
बृहस्पति का पहले घर में होना जातक को अमीर बना सकता है, भले ही वह शिक्षा में बहुत आगे न बढ़ पाए। ऐसे जातक स्वस्थ और दुश्मनों से निर्भीक रहते हैं। वे अपने प्रयासों, मित्रों की मदद, और सरकारी सहयोग से हर आठवें साल में बड़ी तरक्की कर सकते हैं। यदि सातवें घर में कोई ग्रह न हो, तो विवाह के बाद जातक को सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
हालांकि, यदि जातक अपने विवाह या कमाई से चौबीसवें या सत्ताइसवें साल में घर बनाता है, तो यह उनके पिता की उम्र के लिए शुभ नहीं होता।
यदि बृहस्पति पहले घर में है और शनि नौवें घर में स्थित है, तो जातक को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसी प्रकार, यदि बृहस्पति पहले घर में है और राहू आठवें घर में है, तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण हो सकती है।
उपाय:
बुध, शुक्र, और शनि से संबंधित वस्तुएं धार्मिक स्थानों पर दान करें।
गायों की सेवा करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
यदि शनि पांचवे भाव में हो, तो घर का निर्माण न करें।
यदि शनि नवें भाव में हो, तो शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे मशीनरी आदि न खरीदें।
यदि शनि ग्यारहवें या बारहवें भाव में हो, तो शराब, मांस और अंडे का सेवन बिल्कुल न करें।
नाक में चांदी पहनने से बुध के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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BHAVIKA RAJGURU
LAL KITAB ASTROLOGER
( RAJGURUASTROSCIENCE )
गुरु गोविन्द दोहु खड़े काके लागु पाँव,बलिहारी गुरु आपने महादेव दियो बताय |
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