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बछ बारस व्रत और गाय की पूजा का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व :

त्वं माता सर्व देवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम् ।

त्वं तीर्थ सर्वतीर्थानां नमस्तेस्तु सदानधे ।|

तिथि और समय: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस व्रत मनाया जाता है।

इस वर्ष यह व्रत 30 अगस्त, शुक्रवार को पड़ेगा। इस दिन पुनवर्सु नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि योग का

शुभ संयोग रहेगा, जो व्रत के महत्व को बढ़ाता है।

व्रत का उद्देश्य: इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए करती हैं।

इसे गोवत्स द्वादशी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है।

पूजा विधि:

प्रस्तावना:

30 अगस्त की सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

इस दिन गाय के दूध, दही आदि का सेवन न करें, बल्कि भैंस का दूध, दही, भीगा हुआ चना, मोठ और

बाजरे का आटें का उपयोग करें।

पूजा सामग्री:

पूजा के लिए मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिलाएं। गाय के रोली से टीका लगाकर चावल के स्थान

पर बाजरा रखें।

एक कटोरी में भीगा हुआ चना, मोठ, बाजरा और रुपया रखें।

पूजा विधि:

गाय के पैर धोने के लिए एक बर्तन में जल और सुगंधित पदार्थ मिलाकर नीचे दिए मंत्र का उच्चारण

करें:

क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।

सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः॥

गाय के पैरों से मिट्टी का अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।

गाय की आरती करके परिक्रमा करें और बछ बारस की कथा सुनें।

पौष्टिक भोजन और व्रत नियम:

गेहूं और मूंग की दाल का सेवन न करें।

सब्जी काटना भी निषेध है।

गाय की पूजा से संबंधित ज्योतिषीय लाभ:

यात्रा और वास्तु दोष:

यात्रा से पहले यदि गाय या दूध पीता बछड़ा सामने आए, तो यात्रा सफल होती है।

घर में गाय रखने से या गाय की सेवा करने से वास्तु दोष दूर होते हैं।

ग्रह दोष:

जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह की अशुभता से प्रभावित व्यक्ति को गाय को रोटी देने से लाभ होता है।

पितृ दोष या अमावस-दोष के कारण परेशानियों से बचने के लिए गाय को प्रतिदिन रोटी, गुड़, हरा

चारा खिलाना शुभ रहता है।

सूर्य-केतु दोष:

गाय की पूजा से सूर्य-केतु ग्रहों से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।

जीवन रेखा और बुरे सपने:

यदि किसी की हथेली में जीवन रेखा टूटी हो, तो गाय की सेवा और गौ-घृत सेवन से आयु में वृद्धि

होती है।

बुरे सपनों से मुक्ति के लिए सोने से पहले गौ-माता का स्मरण करें।

सूर्य और चन्द्रमा दोष:

जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य या चंद्रमा दोष हैं, उन्हें गाय की सेवा और गौ-नेत्रों के दर्शन से लाभ होता

है।

इस प्रकार, बछ बारस व्रत और गाय की पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि ज्योतिषीय

दृष्टिकोण से भी अनेक लाभकारी प्रभाव डालती है।


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