प्रबोधिनी एकादशी 2024 - तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय :
- Bhavika Rajguru
- Nov 5, 2024
- 6 min read
Updated: Nov 6, 2024
प्रबोधिनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी है, जिसे देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। यह विशेष दिन भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है, जब वे चार महीने की नींद के बाद क्षीरसागर से जागते हैं। इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है, और यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त :
एकादशी की तिथि आरंभ: 11 नवंबर 2024, सोमवार, शाम 06:47 बजे
एकादशी की तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2024, मंगलवार, दोपहर 04:05 बजे
व्रत (पारण) का समय: 13 नवंबर 2024, बुधवार, सुबह 06:52 से 08:58 बजे तक
देवउठनी एकादशी 2024 मुहूर्त :
विष्णु पूजा का मुहूर्त: 12 नवंबर 2024, मंगलवार सुबह 09:23 - सुबह 10:44
रात में शालिग्राम और तुलसी पूजा का समय: रात 07:08 - रात 08:47
शुभ योग :
ज्योतिषियों के अनुसार, 11 नवंबर को शाम 07:10 तक हर्षण योग और 12 नवंबर को सुबह 07:52 से सुबह 05:40 तक सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग भी 13 नवंबर को सुबह 06:42 से सुबह 07:52 तक रहेगा। इन योगों के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
प्रबोधिनी/देवउठनी एकादशी का महत्व :
पद्मपुराण के उत्तरखंड में वर्णित एकादशी-माहात्म्य के अनुसार, श्री हरि-प्रबोधिनी (देवोत्थान) एकादशी का व्रत
करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है। यह एकादशी परम पुण्य
प्रदायिनी मानी जाती है, जिसके विधिवत व्रत से सभी पाप भस्म हो जाते हैं और व्रती मरणोपरांत बैकुण्ठ में
जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। यह न केवल व्यक्तिगत पुण्य के
लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और परिवार के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवसर है। इस
दिन भगवान विष्णु की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का संचार होता है। इस दिन भक्त
श्रद्धा के साथ जो कुछ भी जप, तप, स्नान, दान, या होम करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक होता है।
देवोत्थान एकादशी का व्रत करना हर सनातनधर्मी का आध्यात्मिक कर्तव्य है।
विशेष महत्व :
1. शुभ कार्यों की शुरुआत: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही सभी
मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन से विवाह आदि शुभ कार्यों की अनुमति होती है, जिससे
यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है।
2. तुलसी विवाह: इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जो धार्मिक मान्यताओं में विशेष
महत्व रखता है। इसे भगवान विष्णु और तुलसी की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
3. पापों का नाश: सच्चे मन और श्रद्धा से इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सभी पापों का
विनाश होता है और उनके कष्टों का निवारण होता है।
4. भगवान विष्णु की कृपा: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार पर
उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही, माता लक्ष्मी भी घर में धन, संपदा और वैभव की
वर्षा करती हैं।
5. पुण्य की प्राप्ति: इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति
होती है, जिससे जन्मों के पाप धुल जाते हैं।

देवोत्थान एकादशी व्रत विधि :
1. एकादशी से पूर्व:
दशमी तिथि: एकादशी से एक दिन पहले (दशमी) सात्विक भोजन करें और सूर्यास्त के बाद भोजन
न करें।
2. एकादशी के दिन:
प्रातः उठना: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान की शुद्धि: पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. व्रत का संकल्प:
आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें।
4. भगवान की पूजा:
भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु) की मूर्ति को स्नान कराएं और उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
शालिग्राम पर तुलसी पत्र अर्पित करें।
5. पूजन सामग्री:
धूप, दीप, गंध, मिठाई, फल आदि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
6. आरती और भोग:
विधिपूर्वक पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
उन्हें ईख, अनार, केला और सिंघाड़ा अर्पित करें।
7. चंदन और मांगलिक ध्वनि:
माथे पर सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाएं।
भगवान विष्णु को जगाने के लिए मांगलिक ध्वनि के साथ उठो भगवान, उठो नारायण कहें।
8. श्लोक का उच्चारण:
भगवान विष्णु को जगाने के लिए निम्नलिखित श्लोक पढ़ें:
उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते।
त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमंगलम्कुरु॥
यदि संस्कृत नहीं बोल सकते, तो ;उठो देवा, बैठो देवा कहकर जगाएं।
9. मंत्र जप:
व्रत के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का उच्चारण करें।
10. आहार:
इस दिन अन्न का एक भी दाना न लें, परंतु फल का आहार कर सकते हैं।
11. कथा सुनना:
प्रबोधिनी एकादशी की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।
12. द्वादशी के दिन:
व्रत के अगले दिन (द्वादशी) सुबह स्नान करें, भगवान विष्णु की पूजा करें और आरती करें।
सही मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
इस प्रकार, विधिपूर्वक देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से भक्त को पुण्य और आत्मिक शांति की प्राप्ति
होती है।
देवउठनी एकादशी पर धनवर्षा के उपाय :
1. आर्थिक समृद्धि के लिए उपाय:
एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम भगवान से होता है। इस दिन से पूर्णिमा तक रोज़ घी
का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से कभी आर्थिक तंगी नहीं आएगी।
एक नारियल को थोड़ा सा काटकर उसमें बूरा और देसी घी मिलाकर भरें। इसे मिट्टी में दबा दें, जहां
चींटियों का बिल हो। इससे आपकी आर्थिक समस्याएं दूर होंगी।
2. धन प्राप्ति के लिए:
विष्णु मंदिर में सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। इससे
भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और धन की वर्षा होती है।
3. पुण्य और परोपकार के लिए:
शालिग्राम का दर्शन और पूजन करें। तुलसी दल अर्पित करने से कोटि यज्ञों का फल प्राप्त होता है।
4. कार्यक्षेत्र में सफलता:
पीपल के वृक्ष की मिट्टी को माथे पर लगाकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करें।
भगवान को पीले चंदन और केसर से तिलक करें, इससे कार्य में सफलता मिलेगी।
5. सुखी दांपत्य जीवन के लिए:
तुलसी के पौधे में मौली लपेटकर प्रार्थना करें। इससे दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
6. सुख-शांति के लिए:
गरीबों को फल, धान, गुड़ आदि का दान करें। विशेष रूप से सिंघाड़ा और गन्ने का दान करें।
7. नकारात्मकता से मुक्ति:
एकादशी पर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें, इससे कष्ट दूर होंगे।
8. संतान प्राप्ति के लिए:
संतान गोपाल मंत्र का 108 बार जप करें फिर इसे नियमित रूप से करते रहें
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
9. कर्ज से मुक्ति:
पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और दीपक लगाएं। इससे जल्द लाभ मिलेगा।
10. विशेष स्नान और पूजा:
गंगाजल मिलाकर स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से समस्त सुख प्राप्त होंगे।
11. तुलसी की पूजा:
तुलसी को कच्चे दूध और गन्ने के रस का भोग लगाएं। इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की
कृपा प्राप्त होगी।
12. सौभाग्य के लिए:
तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाएं और श्री विष्णु को एकाक्षी नारियल अर्पित करें।
13. पंजीरी का प्रसाद:
पिसा हुआ धनियाँ घी में भूनकर उसमें शक्कर डालकर पंजीरी बनाएं। भगवान को भोग लगाकर बांटें।
इन उपायों को अपनाकर आप देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर
सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं।
देव प्रबोधिनी एकादशी पर क्या ना करें :
1. चावल का सेवन: इस दिन चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने वाले
व्यक्ति को अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेना पड़ता है।
2. लड़ाई-झगड़े से बचें: इस दिन किसी प्रकार का विवाद या झगड़ा करने से बचें। अपमान से भी बचना
चाहिए, क्योंकि यह तिथि विशेष है।
3. मांस-मदिरा का सेवन: एकादशी के दिन मांस और मदिरा का सेवन करना वर्जित है। इसके साथ ही
लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन से भी दूर रहना चाहिए।
4. तुलसी के पत्ते: तुलसी विवाह का आयोजन इस दिन होता है, इसलिए तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने
चाहिए। यह एकादशी तुलसी और विष्णु के विशेष संबंध को दर्शाती है।
5. गलत विचारों से बचें: किसी के प्रति नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। गोभी, पालक आदि चीजों
का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिए।
6. विश्राम और सजगता: व्रत करने वाले व्यक्ति को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए और न ही नाखून या
बाल कटवाने चाहिए। ध्यान और साधना में लीन रहना चाहिए।
7. कम बोलें: इस दिन कम बोलने का प्रयास करें और मन ही मन भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें।
देव प्रबोधिनी एकादशी का यह व्रत विशेष आध्यात्मिक लाभ देता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और
स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रबोधिनी एकादशी का व्रत निश्चित रूप से आस्था
और भक्ति से भरपूर है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और
खुशहाली का संचार होता है।
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