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पापमोचनी एकादशी 2025: सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास मंत्र व उपाय :

ज्योतिषाचार्य: पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु

पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म का एक विशेष व्रत है, जिसे चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को

मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, और भक्तगण इस दिन पापों से मुक्ति पाने

के लिए विशेष पूजा करते हैं। पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार, पापमोचनी एकादशी पर खास योग बन रहे हैं, जो इस दिन किए गए उपायों के फल को और भी अधिक प्रभावी बना सकते हैं। यदि आप इस दिन कुछ खास उपाय करते हैं तो विष्णु भगवान की कृपा से न केवल आपका जीवन खुशहाल होगा, बल्कि धन- धान्य में भी वृद्धि होगी। इस ब्लॉग में हम आपको पापमोचनी एकादशी पर किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण उपायों और मंत्रों के बारे में जानकारी देंगे, जिन्हें अपनाकर आप सुख, समृद्धि और सफलता पा सकते हैं। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी 2025 की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके साथ जुड़े विशेष मंत्रों के बारे में।

पापमोचनी एकादशी 2025: सही तारीख और शुभ मुहूर्त :

पापमोचनी एकादशी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

  • पापमोचनी एकादशी की तिथि: 25 मार्च 2025 (सुबह 05:05 बजे से प्रारंभ)

  • पापमोचनी एकादशी का पारण समय: 26 मार्च 2025 (दोपहर 01:41 बजे से शाम 04:08 बजे तक)

  • शुभ योग: इस दिन शिव और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है, जो विशेष रूप से शुभ है।

  • शिववास योग: शिववास योग रात्रि भर रहेगा, जो इस दिन की पूजा को और भी पुण्यकारी बनाता है।

नोट: वैदिक पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को होगा, लेकिन वैष्णव समाज के लोग

इसे 26 मार्च को मनाएंगे।

पापमोचनी एकादशी का महत्व :

पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों को उनके पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत उन सभी

गलतियों के लिए माफी पाने का एक माध्यम है, जिन्हें व्यक्ति ने अनजाने में किया हो। इस दिन भगवान

विष्णु की पूजा से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी आती है।

ज्योतिषाचार्य भाविका राजगुरु के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से सुख, सौभाग्य और शांति प्राप्ति के लिए अत्यधिक लाभकारी है। इसके माध्यम से भक्त अपने पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु

की कृपा प्राप्त करते हैं।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि :

पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि बेहद सरल है, लेकिन इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।

पूजा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें:

1. स्नान और शुद्धता:

o प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के पानी में गंगाजल मिलाना शुभ होता है।

o स्नान के बाद साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।

o फिर घर के मंदिर की सफाई करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

2. पूजा की तैयारी:

o एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।

o यदि आपके घर में पहले से भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है, तो उसके नीचे लाल कपड़ा बिछाएं।

o भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं, उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और चंदन लगाएं।

o उन्हें फल, फूल, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

3. मंत्रों का जाप:

o भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

o विष्णु चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है।

o पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें और प्रसाद वितरण करें।

4. उपवास और भजन:

o इस दिन उपवास रखें और भगवान विष्णु के भजनों का गायन करें।

o उपवास के दौरान भक्त अपनी सुरक्षा के लिए मंत्रों का जाप करते हैं।

पापमोचनी एकादशी के विशेष मंत्र :

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करते हुए कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने

से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

1. शांति और मोक्ष के लिए:

o ॐ ह्रषीकेशाय नमः

इस मंत्र का जाप शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए करें।

2. जीवन में सौभाग्य वृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए:

o ॐ ऐं श्री क्लीं प्राण वल्लभाय सोः सौभाग्यदाय श्री कृष्णाय स्वाहा

o ॐ आं संकर्षणाय नमः

इस मंत्र का जाप सौभाग्य, ऐश्वर्य और क्लेश निवारण के लिए करें।

3. संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं यह मंत्र पढ़ सकती हैं:

ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगता: क्लीं ऊं।।

4. विपत्ति से मुक्ति के लिए:

o श्री कृष्ण शरणं ममः

o ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्

5. शत्रु से मुक्ति के लिए:

o ॐ क्लीं ह्रषीकेशाय नमः


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