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नवरात्रि के सातवें दिन: माँ कालरात्रि की पूजा का ज्योतिषीय महत्व :

नवरात्रि के सातवें दिन, माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप, माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह दिन

महासप्तमी के नाम से जाना जाता है और माँ कालरात्रि का पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस

दिन के विशेष महत्व और ज्योतिषीय प्रभावों को समझना न केवल आस्था के दृष्टिकोण से, बल्कि

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आइए जानें माँ कालरात्रि की पूजा विधि, उनके पौराणिक

कथाएँ, और ज्योतिषीय महत्व।

माँ कालरात्रि का दिव्य स्वरूप :

माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत भयंकर और विध्वंसक है। उनके काले रंग का रूप और उनके उग्र तेज

से नकारात्मक शक्तियों और बुरी शक्तियों का नाश होता है। माँ कालरात्रि को शुम्भ करी, काली, या

चामुंडा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को बुराई और नकारात्मकता

से मुक्ति मिलती है।

पौराणिक कथा :

पौराणिक कथाओं के अनुसार, शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों ने माता पार्वती को कैलाश पर्वत से लाने के लिए

अपने अनुयायियों को भेजा। माँ पार्वती ने इन राक्षसों का वध करने के लिए अपने तेज से कालरात्रि

अवतार को प्रकट किया। उनके उग्र रूप और काले रंग ने सभी राक्षसों को नष्ट कर दिया। रक्तबीज

नामक राक्षस के खून की बूँद से कई दानव उत्पन्न होते थे, जिसे समाप्त करने के लिए माँ कालरात्रि

ने कई रूप धारण किए और अंत में शुम्भ और निशुम्भ राक्षसों का भी विनाश किया।

पूजा विधि :

स्नान करके काले रंग के वस्त्र पहनें।

दीपक जलाएं और माता को रातरानी के एवं लाल फूल अर्पित करें।

गुड़, गुड़ की खीर या गुड़ से बनी चीज़ को भोग के रूप में रखें।

दुर्गासप्तशती का पाठ करें और माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें।

माँ की आरती करके गुड़ को प्रसाद के रूप में वितरित करें एवं स्वयं भी ग्रहण करें।


यदि संभव हो, तो किसी विद्वान पंडित से माँ की स्थापना एवं पूजन करवाना चाहिए। संपूर्ण विधि-

विधान से नवरात्रि की स्थापना और पूजन के लिए आप हमारी वेबसाइट

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स्तुति :

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ कालरात्रि का सिद्ध मंत्र: ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।

माँ कालरात्रि का बीज मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।


ज्योतिषीय महत्व :

माँ कालरात्रि की पूजा का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है। इस दिन शनि ग्रह की शांति के उपाय

विशेष रूप से किए जाते हैं। शनि ग्रह का प्रभाव जीवन पर गहरा असर डालता है, और माँ कालरात्रि

की उपासना से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। शनि ग्रह की शांति के लिए विशेष मंत्र, जैसे ;ॐ

प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः, का जप किया जाता है।

माँ कालरात्रि की उपासना से शनि ग्रह की अशुभता दूर होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक

ऊर्जा का संचार होता है। यह उपासना जीवन की समस्याओं को दूर करने और नकारात्मकता से

मुक्ति पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।


नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और शांति की प्राप्ति

होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो शनि ग्रह के दोषों से मुक्ति और

नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा पाना चाहते हैं। माँ कालरात्रि की उपासना से बुराई और नकारात्मकता

का नाश होता है, और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।


जय माँ कालरात्रि!

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