top of page

नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा: माँ सिद्धिदात्री पूजा और मंत्र:

सिद्धिदात्री माँ दुर्गाजी की नौवी शक्ति हैं, जो सभी प्रकार की परेशानियों का नाश करने वाली और दिव्य

शक्तियों की दाता मानी जाती हैं। पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार

उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से साधक के जीवन में दिव्य सिद्धियाँ जागृत होती हैं और वे आध्यात्मिक

उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही सिद्धियाँ प्राप्त

की थीं और उनकी आधी ऊर्जा देवी सिद्धिदात्री से ही थी, इसलिए उन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप:

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं, जो कमल के पुष्प पर आसीन होती हैं। उनका वाहन सिंह है और वे

एक चमकदार लाल साड़ी में सुसज्जित होती हैं। उनके दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प होता है,

जो उनकी पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है।

माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से लाभ:

माँ सिद्धिदात्री की पूजा से सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और भक्तों के जीवन में समृद्धि और सफलता का वास

होता है। वे न केवल भौतिक सुख देती हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति और मोक्ष के मार्ग पर भी मार्गदर्शन

करती हैं। पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार इनकी पूजा से सभी प्रकार

की बाधाएं दूर होती हैं, और भक्त को आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और दिव्य ज्ञान मिलता है।


माँ सिद्धिदात्री के लिए मंत्र:


1. सिद्धिदात्री जप मंत्र:

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

या ओम देवी सिद्धिदात्री नमः


2. बीज मंत्र:

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:


3. सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


4. प्रार्थना मंत्र:

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥


पूजा विधि:

1. दीपक और पूजा सामग्री:

पूजा स्थल पर एक गाय के घी का दीपक जलाएं और जल, लाल फूल, चावल (अक्षत) दाहिने हाथ में

लेकर माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का आवाहन करें।

2. मंत्रों का जप:

ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप तुलसी की माला से 108 बार करें। यह प्रक्रिया 9 दिनों तक लगातार

करें।

3. भोग अर्पण:

तिल का भोग माँ सिद्धिदात्री को अर्पित करें। तिल का भोग अर्पित करने से और तिल का दान

करने से मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है और अनहोनी घटनाओं से बचाव होता है।

4. हवन:

नवरात्रि के अंतिम दिन, सभी मंत्रों के साथ 51-51 आहुति से हवन करें। इससे घर में समृद्धि और

सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और माँ सिद्धिदात्री की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती

हैं।


माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से लाभ:

  • सिद्धियाँ और आत्मिक उन्नति: माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से जीवन में दिव्य सिद्धियाँ प्राप्त

होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

  • कष्टों का नाश: उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से साधक के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और जीवन में

सुख-शांति का वास होता है।

  • मुक्ति और मोक्ष: माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी सांसारिक बंधन

समाप्त हो जाते हैं।

  • आध्यात्मिक शक्ति का जागरण: माँ सिद्धिदात्री की पूजा से आत्मिक शक्ति जागृत होती है और

भक्त को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।


नोट: पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार नवरात्रि के इस नौवें दिन विशेष

श्रद्धा और भक्ति से माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें। उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन

आएगा और आपकी सभी इच्छाएँ पूरी होंगी।

 
 
 

Recent Posts

See All
वैशाख माह 2025 - हिन्दू कैलेंडर में महत्व, मंत्र, धार्मिक अनुष्ठान और व्रत :

ज्योतिषाचार्य भाविका राजगुरु द्वारा 2025 का वैशाख माह, जो 13 अप्रैल से शुरू होकर 12 मई तक रहेगा, धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखता है।...

 
 
 

Comments


bottom of page