नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना: असीम कृपा प्राप्त करने का अवसर :
- Bhavika Rajguru
- Oct 3, 2024
- 2 min read
नवरात्रि, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पावन पर्व है, और इस विशेष पर्व के दूसरे दिन, माँ
ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है।
उनके द्वारा किए गए कठिन तप और साधना से भक्तों को शक्ति, सफलता, और मानसिक शांति
प्राप्त होती है। इस लेख में हम जानेंगे माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और पूजा के महत्व के बारे में विस्तार से।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप :
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सहज और शांतिपूर्ण है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जो शांति
और पवित्रता का प्रतीक है। उनके एक हाथ में अक्ष माला (जप माला) और दूसरे हाथ में कमंडल
(पानी रखने का बर्तन) होता है। उनका यह स्वरूप तप, साधना, और ज्ञान का प्रतीक है। माँ
ब्रह्मचारिणी की उपासना से भक्तों को भावनात्मक शक्ति और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
पूजा विधि :
स्थान और वस्त्र: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजन स्थल को स्वच्छ करें
और उचित सजावट करें। पूजा के लिए एक स्वच्छ आसन तैयार करें।
ध्यान और संकल्प: पूजन प्रारंभ करने से पहले माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और संकल्प लें कि
आप उनके पूजन के सभी विधियों का पालन करेंगे।
आवाहन: माँ ब्रह्मचारिणी का आवाहन करें और उन्हें फूल अर्पित करें।
अर्चना: माँ को सफेद वस्त्र अर्पित करें और धूप एवं दीप जलाएं। इस दौरान निम्नलिखित मंत्र का
उच्चारण करें:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
भोग अर्पण: माँ को दूध, मिश्री, या पंचामृत का भोग अर्पित करें। भोग अर्पित करते समय निम्नलिखित
मंत्र का उच्चारण करें:
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
आरती: पूजा के बाद माँ की आरती करें और दीप प्रज्ज्वलित करके आरती करें।
प्रसाद वितरण: प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
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पूजन का ज्योतिषीय महत्व:
देवी ब्रह्मचारिणी कुंडली में मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। जिन जातकों की कुंडली में मंगल
कमजोर होता है, उन्हें देवी की विधि-विधान से पूजा करने पर लाभ होता है। यह पूजा मंगल दोष का
निवारण करती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।
भोग और अर्चना का महत्त्व:
पूजा के बाद माता को दूध, मिश्री, या पंचामृत का भोग अर्पित करना चाहिए। यह भोग माता को
अतिप्रिय है और इससे आयु में वृद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
वैराग्य और दृढ़ निश्चय:
माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से व्यक्ति के व्यवहार में वैराग्य और दृढ़ निश्चय की शक्ति में वृद्धि
होती है। यह शक्ति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता और सफलता प्राप्त करने में सहायक होती
है।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और
हवन करके आप माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सकते
हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से हम भी अपने जीवन में दृढ़ निश्चय और संकल्प के साथ आगे बढ़ें।
नवरात्रि के द्वितीय दिन की पूजा और आराधना से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सुखों
की प्राप्ति हो।
जय माँ ब्रह्मचारिणी !
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