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नवरात्रि के चौथे दिन: माँ कूष्माण्डा की पूजा और ज्योतिषीय महत्व :

नवरात्रि का चौथा दिन विशेष रूप से माँ कूष्माण्डा के पूजन के लिए समर्पित है। माँ कूष्माण्डा देवी

का रूप अत्यंत दिव्य और अलौकिक है, और उनके पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि

की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा की विधि और माँ कूष्माण्डा से जुड़ी ज्योतिषीय जानकारी को

समझना हमारे जीवन के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।

माँ कूष्माण्डा का दिव्य स्वरूप :

माँ कूष्माण्डा का स्वरूप अद्वितीय है—उनके आठ भुजाओं में कमल, अमृत कलश, कमंडल और

विभिन्न शक्तिशाली अस्त्र होते हैं। उनकी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन होता है।

कूष्माण्डा का अर्थ है ;कुम्हड़ा; या;पाक क्योंकि उन्हें कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है। देवी कूष्माण्डा के

बारे में मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब उनकी हंसी से सृष्टि का निर्माण

हुआ।

पौराणिक कथा :

देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब अंतरिक्ष के सभी ग्रह अंधेरे में लिप्त हो गए थे, तब देवी कूष्माण्डा

की मंद मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को रोशनी मिली। उनकी उपासना से शारीरिक और मानसिक

विकार दूर होते हैं। माँ कूष्माण्डा की पूजा से भक्तों को उनके कष्टों से मुक्ति मिलती है और

समृद्धि की प्राप्ति होती है।


यदि संभव हो तो किसी विद्वान पंडित से माँ कूष्माण्डा की स्थापना एवं पूजन करवाना चाहिए। संपूर्ण

विधि-विधान से नवरात्रि की स्थापना और पूजन के लिए आप हमारी वेबसाइट

www.rajguruastroscience.com पर संपर्क कर सकते हैं या फोन नंबर 9256699947 पर हमें कॉल कर सकते हैं।


पूजन विधि :

प्रात: काल उठना और स्नान: नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा की

तैयारी करें।

पूजा स्थल की पवित्रता: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा

बिछाएं और माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा स्थापित करें।

पूजन सामग्री: पीले वस्त्र, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, और अक्षत अर्पित करें।

आरती और भोग: सभी पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद माँ की आरती करें और भोग लगाएं।

ध्यान और पाठ: पूजा समाप्ति के बाद क्षमा याचना करें और ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती तथा दुर्गा

चालीसा का पाठ करें।

बीज मंत्र और ध्यान मंत्र :

बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नमः

ध्यान मंत्र: ;वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥


ज्योतिषीय महत्व :

माँ कूष्माण्डा का दैदीप्यमान तेज उन्हें सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता प्रदान करता है। ज्योतिष

के अनुसार, माँ कूष्माण्डा सूर्य ग्रह को नियंत्रित करती हैं। सूर्य ग्रह व्यक्ति के जीवन में यश, बल, और

धन का प्रतिनिधित्व करता है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से व्यक्ति सूर्य ग्रह द्वारा उत्पन्न पीड़ाओं

से मुक्ति प्राप्त कर सकता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि और यश की वृद्धि हो सकती है।

नवरात्रि के चौथे दिवस की हमारी ओर से आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। माँ कूष्माण्डा की कृपा

आप पर सदा बनी रहे।

जय माँ कूष्माण्डा!

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