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नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा: कुष्मांडा पूजा और मंत्र:

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन, माँ कुष्मांडा की पूजा का अत्यधिक महत्व है। माँ कुष्मांडा ब्रह्मांड की रचनात्मक

शक्ति के रूप में जानी जाती हैं, और इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। माँ कुष्मांडा की पूजा करने से

जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का वास होता है, और सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट

दूर होते हैं।

माँ कुष्मांडा का स्वरूप:

माँ कुष्मांडा का रूप बहुत ही दिव्य और शक्तिशाली है। उनके आठ हाथ हैं, जिनमें विभिन्न दिव्य अस्त्र

और औजार होते हैं। इनकी उपासना से भक्तों को जीवन की रचनात्मक शक्ति और साहस मिलता है। माँ

कुष्मांडा का वाहन शेर है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

माँ कुष्मांडा के हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और शंख होता है, जो उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों को दर्शाता है। वे अपने भक्तों को आयु, बल, और स्वास्थ्य का

आशीर्वाद देती हैं। अगर कोई भक्त सच्चे मन से माँ कुष्मांडा की उपासना करता है, तो उसे जीवन की

कठिनाइयों में आसानी से सफलता प्राप्त होती है और अंततः उसे परम पद की प्राप्ति होती है।

माँ कुष्मांडा के लिए मंत्र:

पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार माँ कुष्मांडा की उपासना में

निम्नलिखित मंत्रों का जप किया जाता है:


1. कुष्मांडा जप मंत्र:

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः


2. पूजा के लिए मंत्र:

वन्दे मृत कामार्थे चंद्रार्घकृत शेखराम,

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कुष्मांडा यशस्विनीम्।


3. कुष्मांडा स्तुति मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


4. प्रार्थना मंत्र:

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥


पूजा विधि:

1. दीपक और पूजा सामग्री: पूजा स्थल पर एक गाय के घी का दीपक जलाएं। फिर जल, लाल फूल, और

चावल (अक्षत) दाहिने हाथ में लेकर, माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का आवाहन करें।

2. मंत्रों का जप: उपरोक्त दिए गए मंत्रों का जाप तुलसी की माला से 108 बार करें। इस प्रक्रिया को 9

दिनों तक निरंतर करें, ताकि माँ कुष्मांडा का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

3. भोग अर्पण: इस दिन विशेष रूप से मालपुए का भोग माँ कुष्मांडा को अर्पित करें। इस प्रसाद को

ब्राह्मणों को दान देने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

4. हवन: नवरात्रि के आखिरी दिन सभी मंत्रों के साथ 51-51 आहुति से हवन करें, जिससे घर में शांति

और समृद्धि का वास होता है।


कुष्मांडा के आशीर्वाद से लाभ:

  • आयु, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि।

  • रचनात्मकता और जीवन शक्ति का आशीर्वाद।

  • बुद्धि का विकास और निर्णय क्षमता में मजबूती।

  • परम पद की प्राप्ति और जीवन की सभी कठिनाइयों से मुक्ति।

  • नकारात्मकता और रुकावटों से सुरक्षा।


पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार माँ कुष्मांडा की पूजा से जीवन में

सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन विशेष रूप से श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा

करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को उत्तम बनाएं।

 
 
 

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