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दिवाली 2024: महत्त्व, शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि :

दिवाली का महत्त्व :

दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह

रोशनी, खुशी, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दिवाली की रात मां लक्ष्मी के धरती पर आने की

मान्यता है, जो अपने भक्तों के घर जाकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

दिवाली 2024 की तारीख :

2024 में दिवाली मनाने की तारीख 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है। इस वर्ष अमावस्या तिथि 1 नवंबर, शुक्रवार को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी, जबकि इसकी शुरुआत 31 अक्टूबर, गुरुवार को दोपहर 3:52 बजे होगी। इसलिए, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

शास्त्रीय महत्व :

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इसे रात्रि व्यापिनी अमावस्या

के दिन मनाया जाता है, जो मां लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। भगवान ब्रह्मा जी ने स्कंद पुराण के

वैष्णव खंड द्वितीय भाग के कार्तिक महात्म्य में दीपावली पूजा के महत्व को स्पष्ट किया है।

ब्रह्मा जी के श्लोक :

1. श्लोक 64:

त्रयोदशी चतुर्दशी च अमावास्याः सन्निकर्षतः।

दीपावली पूजनं तु तस्मिन् श्रेष्ठं समाश्रितम्॥

इस श्लोक में बताया गया है कि त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या का संग होना आवश्यक है।

2. श्लोक 65:

;यदि च अमावस्या सह प्रतिपदा योगः स्यात्।

तद्भविष्यति लक्ष्मी नाशः मृत्युं च ततः फलम्॥

यह स्पष्ट करता है कि यदि अमावस्या के साथ प्रतिपदा का योग हो, तो यह लक्ष्मी का नाश और

मृत्यु का कारण बन सकता है।

3. श्लोक 66:

;इदं शास्त्रानुसारं न पूज्यं तु विशेषतः।

सर्वेषां भक्तिभावेन पूजनं यथा वदन्ति॥

यहां पर यह कहा गया है कि शास्त्रानुसार इस दिन विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

4. श्लोक 67:

अमावस्या रात्रिः विशेषतः महत्त्वपूर्णा।

यत्र लक्ष्मी निवसति भक्तानां गृहे तदा॥

इस श्लोक में अमावस्या की रात्रि के विशेष महत्व का वर्णन किया गया है, जब मां लक्ष्मी भक्तों के

घर आती हैं।

5. श्लोक 68:

रात्रि व्यापिनी अमावस्या तत्र पूज्यते सदा।

सत्यं तु यदि प्राप्यते, भक्तः सुखं समाश्रितः॥

यह बताता है कि रात्रि व्यापिनी अमावस्या हमेशा पूजा के लिए उपयुक्त है।


2024 में दिवाली की तिथि :

इस वर्ष, अमावस्या 31 अक्टूबर को होगी, जबकि 1 नवंबर की रात अमावस्या नहीं होगी। इसलिए, दिवाली का उत्सव 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा का आयोजन करना उचित रहेगा, जिससे भक्तों को समृद्धि और सुख प्राप्त हो सके।

दीपोत्सव का विस्तार

इसके अलावा, गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को और भाई दूज 3 नवंबर को मनाई जाएगी, जिससे इस बार दीपोत्सव कुल छह दिनों तक चलेगा। यह समय परिवार और दोस्तों के साथ खुशी बांटने का है।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Muhurat 2024) :

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 2024 में 31 अक्टूबर को निर्धारित किया गया है। इस दिन लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष समय निम्नलिखित हैं:

  • प्रदोष काल:

    शाम 5:12 बजे से 7:43 बजे तक।

  • लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त:

    शाम 5:12 बजे से रात 10:30 बजे तक।

  • विशेष मुहूर्त:

  • शाम 5:29 बजे से रात 8:08 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।

  • शुभ मुहूर्त शाम 5:39 बजे से 7:35 बजे तक, कुल अवधि 1 घंटा 56 मिनट।

  • स्थिर लग्न:

  • वृष लग्न का मुहूर्त शाम 6:28 बजे से 8:24 बजे।

  • सिंह लग्न का मुहूर्त रात 12:56 बजे से 3:10 बजे तक।


  • इस प्रकार, 31 अक्टूबर को शाम 5 बजे से रात 10:30 बजे तक लक्ष्मी पूजा करना अत्यंत शुभ रहेगा।


पूजा सामग्री :

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:

कुमकुम, अष्टगंध, अक्षत, मौली, पूजा की चौकी, लाल कपड़ा, चंदन, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या फोटो, पान, जनेऊ, दूर्वा, कपूर, सुपारी, पंचामृत, हल्दी, नारियल, गंगाजल, कमल गट्टा, रूई की बत्ती, लाल धागे की बत्ती, खील, बताशे, फल, फूल, कलश, आम के पत्ते, दक्षिणा, धूप, दीपक, गेहूँ, गन्ना।


दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने की विधि :

1. पूर्व दिशा या ईशान कोण में चौकी रखें।

2. चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं।

3. गणेश जी की मूर्ति को रखें, फिर उनके दाहिनी ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति रखें।

4. पंचोपचार या षोडशोपचार से पहले गणपति देव की फिर माँ लक्ष्मी का पूजन करें |

5. गणेश जी को रोली और दूर्वा चढ़ाएं, मां लक्ष्मी को सिंदूर चढ़ाएं।

6. पुष्प अर्पित करें।

7. एक मुखी घी का दीपक जलाएं।

8. मां लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें।

9. भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।

10. आरती करें और शंख बजाएं।


दिवाली पर दुकान में लक्ष्मी पूजा कैसे करें :

1. देवी लक्ष्मी के सामने घी और तेल के दीपक जलाएं। ध्यान रखें कि घी का दीपक बाएं हाथ की ओर और तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखें।

2. दिवाली के दिन ऑफिस और दुकान में अच्छी सफाई करें। कार्यस्थल पर फूलों, लाइटों, रंगोली, सजावट करें।

3. पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और गणपति जी की मूर्ति का पंचोपचार से पूजन करें।

4. अष्टगंध, पुष्प, खील, बताशे, मिठाई, फल अर्पित करें। इसके बाद बहीखातों की पूजा करें।

5. नए बहीखातों में कुमकुम से स्वास्तिक और शुभ-लाभ बनाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करें।

6. धन की देवी से व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि की कामना करें और आरती कर सभी में प्रसाद बांट दें।


लक्ष्मी जी को अर्पित करने योग्य फूल

माता लक्ष्मी को लाल रंग के फूल, जैसे गुलाब और गुड़हल, अर्पित किए जा सकते हैं। विशेष रूप से कमल का फूल माता लक्ष्मी को प्रिय है।

शास्त्रों के अनुसार, माता लक्ष्मी और माता पार्वती को सफेद फूल जैसे मोगरा, चंपा, रातरानी आदि अर्पित नहीं करने चाहिए। सफेद रंग के ये फूल माता लक्ष्मी को नाराज कर सकते हैं। विशेष रूप से आंकड़े का फूल, जो भगवान शिव को प्रिय है, माता लक्ष्मी को अर्पित नहीं किया जाना चाहिए। आंकड़े का रंग सफेद होने के कारण इसे वर्जित माना जाता है, क्योंकि माता लक्ष्मी को सौभाग्य और सदा सुहागन माना जाता है।इसी प्रकार, तगर का पौधा भी सफेद फूल लगाता है, जिसे भी माता लक्ष्मी को नहीं चढ़ाना चाहिए।


दीपक जलाने के नियम और महत्व :

दीपक जलाने के नियम:

  • स्थान: मां लक्ष्मी की पूजा में घी का दीपक बाएं और तेल का दीपक दाएं जलाएं।

  • बत्ती:

    o घी के दीपक को सफेद खड़ी बत्ती से जलाएं।

    o तेल के दीपक की बत्ती लंबी होनी चाहिए; तिल के तेल के लिए लाल या पीली बत्ती लगाएं।

  • रखाव: दीपक को भगवान की मूर्ति के सामने रखें और इसे बुझने न दें।

  • खंडित दीपक: पूजा में खंडित दीपक का उपयोग न करें।


दीपक जलाने का महत्व:

  • घी का दीपक:

    o भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, देवी दुर्गा, शिवजी और भगवान विष्णु को अर्पित करें।

    o आर्थिक तंगी से मुक्ति और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए विशेष लाभकारी।

  • तेल का दीपक:

    o भैरव देवता के लिए सरसों का तेल शत्रुओं का नाश करता है।

    o हनुमान जी के लिए चमेली का तेल और शनिदेव के लिए तिल का तेल जलाएं।

    o राहु और केतु की दशा को शांत करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाएं।


मंत्र:

दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:

शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्।

शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते॥

इन नियमों का पालन करने से दीपावली पर पूजा का फल अधिक मिलता है।


दिवाली का त्योहार सिर्फ रोशनी और मिठाइयों का नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और परिवार के साथ बिताए गए समय का भी प्रतीक है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजा का विधिपूर्वक पालन कर, हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना कर सकते हैं। दीपावली की शुभकामनाएं!

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