छोटी दीपावली/नरक चतुर्दशी पूजा का विधान :
- Bhavika Rajguru
- Oct 24, 2024
- 2 min read
Updated: Oct 25, 2024
छोटी दीपावली, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है।
यह तिथि विशेष रूप से दीपावली महापर्व की तैयारियों का संकेत देती है। इस दिन पूजा-पाठ और विशेष
उपायों के माध्यम से हम स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं।
1. पूजा का विधान :
छोटी दीपावली पर चार बत्तियों के दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इस दिन निम्नलिखित मंत्र का
उच्चारण करना चाहिए:
।।दत्तो. दीपश्रचतुर्दश्यां नरक प्रीतये मया।
चतुर्वर्ति समा युक्तः सर्वपापाय नुतये।।
इस मंत्र से पूजा करने के बाद दीपदान करें।
2. छोटी दीपावली के रहस्य :
रुद्र योगिनी तंत्र :
छोटी दीपावली के महत्व की चर्चा रुद्र योगिनी तंत्र, भविष्य पुराण और मार्कंडेय पुराण में की गई है।
हनुमान जयंती :
छोटी दीपावली को अर्धरात्रि में भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। इसलिए यह तिथि हनुमान जयंती के
रूप में भी मनाई जाती है।
जय जय जय हनुमान गुसाईं।
कृपा करो गुरुदेव की नाई।
इस मंत्र को 5 बार बोलकर एक दीपक में तेल जलाएं।
ज्योतिर्लिंग का उद्भव :
छोटी दीपावली के दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी होती है। इस दिन भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट
होना होता है। शिवलिंग निराकार और अनिर्वचनीय तत्व का प्रतीक है।
महाकाली चौदस :
इस दिन महालक्ष्मी की बड़ी बहन ज्येष्ठा का उद्भव हुआ था। इन्हें अष्टदरिद्रा, गरीबी और दुःख की देवी
माना जाता है।
3. अष्टदरिद्र के नाम :
अष्टदरिद्र के आठ नाम निम्नलिखित हैं:
गरीबी, दुःख, अल्प-आयु, रोग्, अभिवृद्धि का अभाव, पुत्र-पौत्र वंश-वृद्धि की कमी, धन-धान्य की न्यूनता
विजय-सफलता का अभाव
अर्थात आठ ऐश्वर्य गौण (गौरव) - सम्मान और प्रतिष्ठा, धन - धन और समृद्धि, ज्ञान - ज्ञान और बुद्धि, मोक्ष - मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति, भोग - भौतिक सुख-सुविधाएं, इच्छा - इच्छाओं की पूर्ति, यश - प्रसिद्धि और नाम, शक्ति - शक्ति और सामर्थ्य का अभाव ही अष्टदरिद्र कहा जाता है।यथा-
श्लोकोक्तानां अष्टदारिद्र्याणां मूलकारणानि त्रीण्येव - ज्ञान-विवेक-श्रम-दारिद्र्याणीति।
4. पूजा विधि :
रुद्राभिषेक :
छोटी दीपावली की रात शिवलिंग पर रुद्राभिषेक, हनुमान जी और मां महाकाली की पूजा करने से अष्टदरिद्र
दूर होता है।
रूप चौदस :
इस दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। सुबह जल्दी उठकर ओषधि तेल से देहाभ्यंग करें। तेल का
उपयोग करना चाहिए।
भविष्य पुराण: कार्तिके कृष्णपक्षे च चतुर्दश्यां दिनोदये।
अवश्यमेव कर्त्तव्यं स्नानं नरक भीरुभिः।
5. तेल की मालिश के फायदे :
1. तेल की मालिश से वात संतुलित होता है।
2. यह प्रयोग व्यक्ति को आंतरिक और बाह्य रूप से स्वस्थ और सुंदर बनाता है।
अन्य उपाय :
1. तेल की मालिश के बाद, चेहरे पर फेस क्लीनअप लगाकर सूखने दें।
2. नीम की दातुन से मंजन करें, फिर अपामार्ग बूटी को सिर से सात बार वार कर फेंक दे और स्नान करें।
छोटी दीपावली को उपरोक्त विधियों से पूजा करने पर रोग, दुःख, चिंता और गरीबी का भय दूर होता है।
छोटी दीपावली/नरक चतुर्दशी का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह व्यक्तिगत और
सामाजिक समृद्धि की भी कामना करता है। इस दिन की गई पूजा और उपायों से जीवन में सुख, समृद्धि
और धन की वृद्धि होती है।
ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ महालक्ष्म्यै नमः
ॐ शिवाय नमः
यह पर्व आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाए।
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