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चैत्र नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती के 7 श्लोकों का पाठ करें, होगी सभी मनोकामनाएं पूरी :

लेखक: ज्योतिषाचार्य भविका राजगुरु

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का पर्व आरंभ हो चुका है। नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म

में विशेष महत्व रखता है, जिसमें माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। यह समय होता

है मानसिक और शारीरिक शुद्धता के साथ देवी की आराधना करने का, ताकि जीवन में सुख, शांति, समृद्धि

और समग्र उन्नति हो सके।

दुर्गा सप्तशती और उसके लाभ :

पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार माँ दुर्गा के 700 श्लोकों से युक्त दुर्गा

सप्तशती का पाठ घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और व्यक्ति की हर कामना को पूर्ण करता

है। यदि आप संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो कोई चिंता की बात नहीं है। आप इन 7

श्लोकों का पाठ करके भी वही लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जो पूरे पाठ से मिलता है। यह श्लोक विशेष रूप से

प्रभावशाली हैं और इनका जाप आपकी हर समस्या का समाधान कर सकता है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान इन 7 श्लोकों का पाठ करें :

इन श्लोकों के माध्यम से माँ दुर्गा की आराधना करें, और नवरात्रि के दिनों में मनोकामनाओं की पूर्ति का

अनुभव करें:

1. ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

2. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।

3. सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥

4. शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे

सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥

5. सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥

6. रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान्

सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥

7. सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।

एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥


दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले ध्यान रखने योग्य बातें :

पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और

दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। आइए जानें कि दुर्गा सप्तशती का पाठ

करते समय किन गलतियों से बचना चाहिए:

1. कलश स्थापना और पाठ का संबंध :

शास्त्रों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ वही व्यक्ति करे, जिसने नवरात्रि में अपने घर में कलश

की स्थापना की हो। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आप पाठ करते समय पूजा विधि का पूरी

तरह से पालन करें।

2. पुस्तक रखने का तरीका :

दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को सीधे हाथ में न लेकर, एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।

इस पर पुस्तक रखें और पूजा सामग्री जैसे कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें।

3. आरंभ और समाप्ति की प्रक्रिया :

पाठ शुरू करने से पहले, माथे में रोली लगाकर ही पाठ का आरंभ करें। और पाठ समाप्ति के बाद

नर्वाण मंत्र ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का जाप करें।

4. स्वच्छता का ध्यान रखें :

पाठ से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और मन व तन दोनों को शुद्ध रखें। इससे आपका

ध्यान अच्छे से केंद्रित रहेगा और पाठ में सफलता मिलेगी।

5. सही उच्चारण :

दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक श्लोक का उच्चारण सही और स्पष्ट रूप से करें। किसी भी शब्द का

उच्चारण गलत नहीं होना चाहिए। यदि संस्कृत में कठिनाई हो तो आप हिंदी में भी पाठ कर सकते

हैं, लेकिन सही उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है।

6. शांति और एकाग्रता :

ध्यान रखें कि पाठ करते समय मानसिक शांति और एकाग्रता हो। कभी भी तेज आवाज में या बिना

ध्यान के पाठ न करें। इससे लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि इसका असर आपके मानसिक शांति और सुख

पर भी पड़ेगा।


दुर्गा सप्तशती का पाठ और विशेष रूप से इन 7 श्लोकों का जाप, न केवल जीवन में सकारात्मकता लाता है,

बल्कि यह आपके हर कार्य में सफलता प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त करता है। नवरात्रि के इन पवित्र

दिनों में यदि आप सही विधि से इन श्लोकों का पाठ करेंगे, तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

साथ ही, अपने पूजा विधि और नियमों का पालन करने से आपको जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का

अनुभव होगा।

आप सभी को चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका जीवन खुशहाल और

समृद्ध हो!

ज्योतिषाचार्य भविका राजगुरु

 
 
 

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