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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा विधि और बीज मंत्र :

चैत्र नवरात्रि एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो शक्ति की पूजा और उपासना का प्रतीक है। इस पर्व के नौ

दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और पहले दिन की पूजा माँ शैलपुत्री को समर्पित होती

है।

. Jai Mata Di!
. Jai Mata Di!

माँ शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री :

माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, और उनका नाम शैलपुत्री इसलिए पड़ा क्योंकि वे पर्वतों की पुत्री हैं।

उनका स्वरूप दिव्य और अत्यंत सुंदर है। माँ शैलपुत्री के हाथ में त्रिशूल और कमल का फूल है, और उनका

वाहन वृषभ (बैल) है।

पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार माँ शैलपुत्री की पूजा से शक्ति, साहस,

और मानसिक बल मिलता है, और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना आसानी से किया जा सकता

है।

माँ शैलपुत्री का इतिहास :

माँ शैलपुत्री पहले जन्म में सती के नाम से प्रसिद्ध थीं। भगवान शिव से उनका विवाह हुआ था, लेकिन अपने

पिता के यज्ञ में शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण सती ने आत्मदाह कर लिया। इसके बाद वे

हिमालय के घर में जन्म लेकर शैलपुत्री के रूप में प्रसिद्ध हुईं।

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा विधि :

1. पूजा स्थल की तैयारी :

• पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ गाय के घी का दीपक जलाएं।

• जल, लाल फूल, और चावल (अक्षत) को दाहिने हाथ में लेकर माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का आवाहन करें।

2. मंत्रों का जप :

• तुलसी की माला का उपयोग करें और प्रत्येक मंत्र को 108 बार जपें।

3. बीज मंत्र :

• ह्रीं शिवायै नमः

यह बीज मंत्र माँ शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।

4. स्तुति मंत्र :

• या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

5. प्रार्थना मंत्र :

• वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

6. विशेष ध्यान :

• इस दिन गाय के शुद्ध घी से दीपक जलाने से माता शैलपुत्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और

साधक को उत्तम स्वास्थ्य का लाभ मिलता है।

• इस दिन विशेष रूप से घी अर्पित करने से सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है और

आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

7. हवन (अंतिम दिन) :

• नवरात्रि के अंतिम दिन, जब सभी मंत्रों का 9 दिनों तक जप किया जाए, तो 51-51 आहुति से हवन करें।

यह हवन माँ शैलपुत्री की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका है।


माँ शैलपुत्री के पूजा से लाभ :

पुष्कर की प्रसिद्ध लाल-किताब ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार माँ शैलपुत्री की पूजा और बीज मंत्रों

का जप करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं:

1. साधक के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं।

2. जीवन दीर्घायु होता है।

3. सभी प्रकार की ग्रह बाधाएं, भूत-प्रेत आदि की पीड़ाएं दूर होती हैं।

4. निसंतान स्त्रियाँ शीघ्र गर्भधारण करती हैं।

5. साधक के घर में लक्ष्मी का वास होता है।

6. धन, विद्या, और यश प्राप्ति के मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

7. व्यापार और नौकरी में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

8. ग्रह क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

9. शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।


चैत्र नवरात्रि का पर्व शक्ति की पूजा और उपासना का पर्व है। माँ शैलपुत्री की पूजा से जीवन में शक्ति,

साहस, मानसिक बल, और शांति प्राप्त होती है। उनके मंत्रों का जप करने से हम अपनी सभी बाधाओं से

मुक्ति पा सकते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

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