कार्तिक पूर्णिमा (देव-दीपावली) पर पुष्कर स्नान : महा-पातकों से मुक्ति का महापर्व :
- Bhavika Rajguru
- Nov 13, 2024
- 6 min read
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व रखती है। इस दिन को कार्तिक पूर्णिमा और देव
दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप
से पुण्यदायिनी होता है और इस दिन किए गए कार्यों का विशेष महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर
में स्नान करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन
भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य आता
है। साथ ही, इस दिन दीपदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में समृद्धि का वास
होता है।
आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के महत्व, पूजा विधि, विशेष उपाय और इसके अवसर पर किए जाने वाले
पवित्र कार्यों के बारे में।

कार्तिक पूर्णिमा 2024 तिथि और समय (Kartik Purnima 2024 Date and Time) :
पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 2024 की तिथि 15 नवंबर को सुबह 06:19 बजे शुरू होगी और 16 नवंबर को रात 02:58 बजे समाप्त होगी।अतः कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवम्बर को ही मनाया जायेगा | इस दिन विशेष रूप से पुष्कर स्नान, देव दीपावली और गुरुनानक जयंती का आयोजन होता है।
स्नान-दान मुहूर्त:
सुबह 04:58 - सुबह 5:51
सत्यनारायण पूजा मुहूर्त:
सुबह 06:44 - सुबह 10:45
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त:
शाम 05:10 - रात 07:47
चंद्रोदय समय:
शाम 04:51
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त:
रात 11:39 - प्रात: 12:33
कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष ज्योतिषीय योग :
इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष ज्योतिषीय योग बन रहे हैं, जिसमें गजकेसरी राजयोग और
बुधादित्य राजयोग के साथ-साथ शश राजयोग भी बनेगा। यह एक ऐसा शुभ समय है जब किए गए
धार्मिक कार्यों का फल 100 गुना अधिक मिलेगा। इसके साथ ही पद्मक योग भी बन रहा है, जो इस
दिन किए गए पुण्य कार्यों को और भी ज्यादा प्रभावशाली बना देता है।
कार्तिक पूर्णिमा और ब्रह्म पुष्कर तीर्थ का महत्त्व :
कार्तिक पूर्णिमा, जिसे त्रिपुरी पूर्णिमा और पुष्कर स्नान के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का
एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता
है और इसके साथ जुड़े अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी हैं।
त्रिपुरी पूर्णिमा की महिमा :
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान
शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाभयंकर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद ही भगवान
शिव त्रिपुरारी के रूप में प्रतिष्ठित हुए, और यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव
की पूजा होती है।
इसके अलावा, इस दिन शिव शंकर के दर्शन करने से मान्यता है कि व्यक्ति को सात जन्मों तक
ज्ञान और संपत्ति की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कृतिका नक्षत्र में शिवजी के दर्शन करने से
जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
कृतिका नक्षत्र और कार्तिक पूर्णिमा का महत्व :
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से कृतिका, भरणी, या रोहिणी नक्षत्रों का मिलना इस दिन की
महिमा को और भी बढ़ा देता है। विशेषकर यदि कृतिका नक्षत्र और चंद्रमा, बृहस्पति के योग में हो,
तो इसे महापूर्णिमा माना जाता है। इस समय किया गया पुष्कर स्नान और दान अत्यधिक फलदायी
होता है।
कृतिका नक्षत्र में चंद्रमा और सूर्य के विशाखा नक्षत्र में होने से पद्मक योग बनता है, जिससे पुष्कर
में स्नान करने से गंगा स्नान से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
पुष्कर स्नान का महत्व (Pushkar Snan Significance) :
पुष्कर स्नान का हिंदू धर्म में गहरा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से ब्रह्म पुष्कर सरोवर में
स्नान करने के लिए अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना जाता है। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए जीवन के सभी पापों का नाश करने और पुण्य की प्राप्ति का अवसर लेकर आता है। इस दिन ब्रह्म पुष्कर में स्नान करने से मिलने वाले पुण्य के बारे में कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है, और यह माना जाता है कि इस स्नान से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह बड़े-बड़े यज्ञों और तीर्थ स्थलों में स्नान करने से भी प्राप्त नहीं होता। इसके कई लाभ हैं:
1. पापों का नाश: पुष्कर सरोवर में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आध्यात्मिक शुद्धि
प्राप्त होती है।
2. अक्षय पुण्य की प्राप्ति: ब्रह्म पुष्कर सरोवर में स्नान और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसका अर्थ है कि यह पुण्य जीवन भर और अगले जन्मों तक प्राप्त होता है, और यह नष्ट नहीं होता। यह
स्नान व्यक्ति को जीवन भर की मुसीबतों और पापों से मुक्त कर देता है।
3. मोक्ष की प्राप्ति: पुष्कर स्नान मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
4. मनोकामना पूर्ति: यह दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का दिन
होता है।
5. भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन ब्रह्म पुष्कर में स्नान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती
है। माना जाता है कि भगवान विष्णु के दर्शन और स्नान से जीवन की सभी संकटों का समाधान होता है
और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
6. आध्यात्मिक जागरण: पुष्कर तीर्थ यात्रा और स्नान व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर ले जाते हैं।
7. आर्थिक समृद्धि: इस दिन ब्रह्म पुष्कर में स्नान करने से न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि जीवन में आर्थिक
परेशानियों का भी समाधान होता है। जो लोग वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें इस दिन
विशेष रूप से स्नान करना चाहिए, क्योंकि इससे भगवान विष्णु की कृपा से आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और
समृद्धि का मार्ग खुलता है।
पुष्कर स्नान की विधि (Pushkar Snan Vidhi) :
पुष्कर स्नान करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
1. देवताओं को प्रणाम: सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और देवी सरस्वती को प्रणाम करें।
2. तीन बार डुबकी लगाएं: पुष्कर सरोवर में तीन बार डुबकी लगाकर शरीर को पूरी तरह से विसर्जित
करें।
3. मंत्रों का जाप: स्नान करते समय पवित्र मंत्रों का जाप करें, जैसे ॐ नमो भगवते ब्रह्मणे या ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः;।
4. स्वच्छ वस्त्र धारण करें: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और ध्यानपूर्वक पूजा करें।
5. दान-पुण्य करें: स्नान के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi) :
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा का विशेष महत्व है। पूजा विधि निम्नलिखित है:
1. सुबह जल्दी उठें: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
2. श्री विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें: पूजा में श्री विष्णु की मूर्ति को विराजमान करें और उन्हें
पुष्प, फल, वस्त्र अर्पित करें।
3. गंध, पुष्प, फल, और वस्त्र अर्पित करें: मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
4. दीपक जलाकर आरती करें: दीयों से आरती करें और विष्णुजी के मंत्रों का जप करें।
5. दान करें: गरीबों को वस्त्र, अन्न, या अन्य सामग्री का दान करें।
कार्तिक पूर्णिमा पर उपाय :
कार्तिक पूर्णिमा के दिन निम्नलिखित उपायों से लाभ प्राप्त हो सकता है:
1. घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं: इससे माता लक्ष्मी का वास होता है और घर में
समृद्धि आती है।
2. कुशा स्नान: ब्रह्म पुष्कर सरोवर में कुशा लेकर स्नान करें और दान करें। इससे सौभाग्य और
आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है।
3. तुलसी के पौधे की पूजा: तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ पर तिलक करें।
4. पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल वृक्ष में जल और दूध अर्पित करें और दीपक लगाएं।
5. शिवजी की पूजा: इस दिन शिवजी को पंचामृत अर्पित करें और बेलपत्र चढ़ाएं।
दीपदान और पूजा के अन्य महत्व :
1. दीपदान करें: कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान का विशेष महत्व है। दीपकों को गंगा नदी, ब्रह्म पुष्कर
सरोवर या घर के आंगन में जलाना चाहिए।
2. घर में दीप जलाएं: घर की दहलीज, छत, और मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से लक्ष्मी का वास होता है।
3. व्रत और दान: इस दिन व्रत रखें और दान करें। व्रत करने से आत्मिक शांति मिलती है और पुण्य की
प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व जीवन में आंतरिक शांति, पुण्य लाभ और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस
दिन पुष्कर स्नान, दीपदान और विशेष पूजा विधियों के साथ, व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और
मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। आप भी इस शुभ अवसर पर सभी धार्मिक क्रियाओं का पालन करें और
अपने जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास करें।
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