ऋषि पंचमी-पापों से मुक्ति का महापर्व :
- Bhavika Rajguru
- Aug 27, 2024
- 2 min read
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, जिसे ऋषि पंचमी कहा जाता है, विशेष महत्व रखती है।
इस दिन का पालन करने से पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है। इस दिन विशेष
रूप से सात पौराणिक ऋषियों—वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज—की
पूजा की जाती है।
ऋषि पंचमी व्रत का मुहूर्त :
पंचमी तिथि का आरम्भ 7 सितम्बर शाम को 5:38 को होकर 8 सितम्बर को शाम 7:59 तक
रहेगी|
8 सितम्बर को स्वाति नक्षत्र के साथ चन्द्रमा तुला राशि में स्थिर लग्न व नक्षत्र में रहेगा जो की
किसी भी नयें काम के आरम्भ या व्रत हेतु शुभ होता है एवं इस दिन सूर्योदय के साथ सर्वार्थ सिद्धि
योग भी रहेगा अतः इस दिन व्रत करना श्रेष्ठ है |
ऋषि पंचमी का महत्व :
महिलाओं के लिए विशेष महत्व: यह दिन खासकर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस
दिन मासिक धर्म के दौरान की गई अशुद्धियों का प्रायश्चित किया जाता है। व्रत के माध्यम से
रजस्वला दोष से मुक्ति मिलती है और उनके पाप समाप्त हो जाते हैं।
पाप नाशक व्रत: शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत से सभी प्रकार की गलतियों की माफी मिल जाती है। यह
व्रत शरीर की अशुद्धियों के प्रायश्चित के रूप में माना जाता है और महिलाओं को इससे उत्तम
स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
ऋषि पंचमी पूजा विधि :
स्नान और पूजा: भाद्रपद शुक्ल पंचमी को नदियों में स्नान करें और घर में शुद्ध स्थल पर हरिद्रा से
चौकोर मंडल बनाएं। इसमें सप्तर्षियों और देवी अरुंधती की स्थापना करें। गंध, पुष्प, धूप, दीप और
नैवेद्य से पूजा करें।
अर्घ्य और माफी: कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः, जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः
दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्णन्त्वर्यं नमो नमः ॥; मंत्र से अर्घ्य अर्पित करें और सप्तर्षियों से अपनी गलती
की माफी मांगें।
कथा और आरती: ऋषि पंचमी की कथा सुनें और ऋषियों की आरती करें। प्रसाद वितरित करें और घर
के बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
व्रत का पालन: पूजा के बाद आकृष्ट शाकादि(फलाहार) का आहार करें और ब्रह्मचर्य पालन करें। सात
वर्षों तक व्रत करें और आठवें वर्ष में सप्तर्षियों की सुवर्णमय मूर्तियों की पूजा करें। इसके साथ
गोदान और सात युग्मक ब्राह्मण-भोजन कराएं।
ऋषि पंचमी के उपाय:
गायत्री मंत्र का जाप: सूर्योदय से पहले गायत्री मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता
है और बुद्धि का विकास होता है।
पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ की पूजा और उसकी जड़ों में जल चढ़ाने से सौभाग्य और दीर्घायु प्राप्त
होती है।
ब्राह्मणों को भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
मान्यता: जो महिला श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करती है, वह भौतिक सुखों को प्राप्त करती है और अंत
में मोक्ष प्राप्त करती है।
महादेव सदैव आपकी रक्षा करे |
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