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Chaitra Navratri 2025 Date: साल 2025 में कब से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि? जानें घटस्थापना का शुभमुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी :

चैत्र नवरात्रि 2025: एक नई शुरुआत और माता रानी की कृपा

चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है।

इस साल (2025) में चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च से हो रहा है और यह 7 अप्रैल 2025 तक चलेगा। इस

समय के दौरान, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। विशेष

रूप से इस नवरात्रि के दौरान, भक्त माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवासी रहते हैं और उनका

आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

चैत्र नवरात्रि का आरंभ हिंदू नववर्ष (विक्रम संवत) के साथ भी होता है, और इस दिन का महत्व विशेष रूप

से महाराष्ट्र और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में अधिक होता है। इस दिन को "गुड़ी पड़वा" के रूप में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त, चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और भक्तों को इन दिनों विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।


चैत्र नवरात्रि 2025 एवं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Ghatsthapana Shubh Muhurat) :

  • चैत्र नवरात्रि की शुरुआत: चैत्र नवरात्रि 30 मार्च, 2025 को शुरू होकर 7 अप्रैल 2025 तक चलेगी। इस दौरान हिंदू धर्म के अनुयायी देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, जो नौ रूपों में प्रकट होती हैं।

  • घटस्थापना और मुहूर्त: इस साल घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06:13 बजे से लेकर 10:22 बजे तक रहेगा। विशेष अभिजीत मुहूर्त 12:01 से 12:50 तक रहेगा। घटस्थापना का समय प्रतिपदा तिथि पर है, जो 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे से शुरू होगी और 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी।

इन मुहूर्तों में घटस्थापना करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। घटस्थापना के बाद, पूजा का

शुभारंभ किया जाता है और घर में मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा अर्चना की जाती है।


मां दुर्गा के वाहन पर सवार होकर आगमन (Chaitra Navratri 2025 Vehicle of Goddess Durga) :

पुष्कर की प्रसिद्ध ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार, 2025 में चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा हाथी पर

सवार होकर आती हैं। इस घटना को बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि हाथी को एक शुभ वाहन माना

जाता है। यह देश और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए भी एक शुभ संकेत होता है। मां दुर्गा का हाथी पर आना

और फिर सोमवार 7 अप्रैल को हाथी पर ही विदाई लेना, इसे विशेष रूप से शुभ माना गया है।

चैत्र नवरात्रि के दिन और उनका महत्व पुष्कर की लाल-किताब ज्योतिर्विद भाविका राजगुरु के अनुसार, इस नवरात्रि के दौरान देवी के आशीर्वाद से आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं, बस पूरी श्रद्धा और विश्वास से पूजा अर्चना कीजिए।

चैत्र नवरात्रि की पूजा नौ दिनों तक चलती है, और हर दिन एक विशेष रूप से मां दुर्गा के एक रूप को

समर्पित किया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान भक्त माता रानी की उपासना करते हैं और उनकी कृपा

प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।


सभी दिन पूजा विधि:

o स्नान और स्थान की सफाई: पूजा से पहले भक्तों को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर मंदिर या

पूजा स्थल की सफाई करनी चाहिए।

o कलश स्थापना: घटस्थापना के समय कलश में पानी, सुपारी, सिक्के, आम के पत्ते और नारियल

रखा जाता है।

o माँ दुर्गा का आह्वान: पूजा स्थल पर कलश के ऊपर नारियल रखकर मां दुर्गा का आह्वान

किया जाता है।

o व्रत का संकल्प: व्रत रखने वाले भक्त संकल्प लेते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए

मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


चैत्र नवरात्रि में व्रत का महत्व :

चैत्र नवरात्रि में व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। यह व्रत हमें अपने जीवन में संयम और

तप का अभ्यास करने की प्रेरणा देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान 9 दिन तक

उपवासी रहकर देवी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेष रूप से इस दौरान

देवी दुर्गा की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और अखंड ज्योत जलाना अत्यंत प्रभावशाली माना

जाता है।

अंक ज्योतिष में 9 का महत्व :

पुष्कर की प्रसिद्ध ज्योतिर्विद, भाविका राजगुरु के अनुसार अंक ज्योतिष में 9 का बहुत अधिक महत्व है,

क्योंकि 9 का स्वामी मंगल ग्रह होता है। मंगल ग्रह को पराक्रम, साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

अगर आपकी कुंडली में मंगल कमजोर है, तो नवरात्रि के पांचवे दिन विशेष रूप से देवी स्कंदमाता की पूजा

करना चाहिए। इसके बाद ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: बीज मंत्र का जाप करने से मंगल ग्रह की स्थिति

मजबूत होती है और व्यक्ति को मंगल से जुड़े शुभ परिणाम मिलते हैं।

नवरात्रि व्रत पारण विधि (Chaitra Navratri 2025 Parana Vidhi) :

नवरात्रि व्रत का पारण कन्या पूजन के बाद किया जाता है। पारण का सबसे शुभ समय नवमी तिथि के

समाप्त होने के बाद होता है, जब दशमी तिथि की शुरुआत हो चुकी हो। इस समय देवी दुर्गा का आशीर्वाद

प्राप्त कर व्रत समाप्त किया जाता है और भक्त अपने मन की इच्छाओं को पूरा करने का आशीर्वाद प्राप्त

करते हैं।


चैत्र नवरात्रि, मां दुर्गा के अनगिनत रूपों की पूजा और उपासना का पर्व है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि

से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमें आत्म-शुद्धि, आत्म-निर्भरता और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता

है। इस बार 2025 में, चैत्र नवरात्रि के दौरान माता रानी के हाथी पर सवार होने की घटना को विशेष रूप से

शुभ और ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह समय है जब आप पूरे मन से पूजा करें और मां दुर्गा से अपने

जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना करें।

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